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चाटुकार कह रहें हैं जांच हो- भले हो मगर किसकी पूछ रहा है भारत धर्मी समाज

चाटुकार कह रहें हैं जांच हो- भले हो मगर किसकी पूछ रहा है भारत धर्मी समाज  चाटुकार कह रहें हैं जांच हो- भले हो मगर किसकी पूछ रहा है भारत धर्मी समाज जगदीश चंद्र वसु ने अपने  क्रेस्कोग्राफ से पता लगाया था :हमारी मानिंद पौधों  का भी दिल धड़कता है संवेदनशील होते हैं पौधे। इतना ही नहीं उनका यह भी कहना था अणु और उसके अवयव परमाणुओं का भी दिल धुक -धुक करता है। स्पंदनशील है सृष्टि का प्रत्येक कण। प्राच्यविद्याओं के अनुसार जो जड़ में है वही चेतन में है। दिल्ली से हुबली जा रहा था वह विमान उसमें सवार एक अहंकार ग्रस्त विक्षुब्ध मन बड़बड़ा रहा था -संविधान को हाथ नहीं लगाने दूंगा। विक्षुब्ध चेतन के इन स्पंदनों को-विमान ने यकायक पकड़ा। अनुनाद के तहत विमान डोलने लगा। जड़ ने विक्षुब्ध चेतन के स्पंदन के साथ पहले सिम्पैथेटिक और देखते ही देखते   रेसोनेट वाई - ब्रेशन पकड़े विमान का ढाँचा थरथराने लगा। पुलिस ने इस अहंकार ग्रस्त मनुष्य -नुमा की संतुष्टि के लिए निर्दोष दोनों पायलटों को घंटों बिठाये रखा जबकि विमान के  - ऑटो -पाय - लेट मोड का फेलियर हो जाना एक सामन्य घटना है। मेनुअल  मोड में कुशल पॉयलटों ने वीमान