हिंदुत्व में परमात्मा की शक्ति का प्राकट्य अनेकरूपा नारी है। दिव्य माँ के रूप में हिंदुत्व में ही नारी आराध्य देवीरूप में है
हिंदुत्व में परमात्मा की शक्ति का प्राकट्य अनेकरूपा नारी है। दिव्य माँ के रूप में हिंदुत्व में ही नारी आराध्य देवीरूप में है
विद्या ,ज्ञान-विज्ञान , ललित एवं संगीत अभिनय आदि कलाओं की देवी यहां सरस्वती हैं। सांगीतिक प्रस्तुतियों के पहले दीप प्रज्जवलित किया जाता है माँ सरस्वती का आवाहन करने के लिए।
लक्ष्मी तमाम वैभव और सम्पदा ,धन की दात्री है। आराध्या है सनातन धर्मी भारतधर्मी समाज की।
दुर्गा और काली दुष्ट संहारक हैं।
अथर्व वेद की ऋचाओं का आरम्भ देवी उपासना से होता है :
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता (मनुस्मृति )
अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है देवगण विराजते हैं वहां।
तैत्तिरीय उपनिषद में आया है :
मातृदेवो भव
Let your mother be God to you
माँ हमारे लिए परमात्मा की तरह आराध्या है
मनुस्मृति का उद्घोष है :
A family whose women live in sorrow perishes .The family whose women are happy always prospers .A household whose unhappy women members curse perishes completely -Manusmriti
यहां गांधारी कृष्ण को भी शाप दे सकती है।
किसी राष्ट्र के नागर बोध का निर्णय इस बात से होता है वहां महिलाओं का सम्मान कितना होता है -पूर्वराष्ट्रपति अवुल पाक़िर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम साहब
ऋग्वेद के ४०७ साधू संतों में से २१ महिला संत हैं।ऋषिका गार्गी ,उभया भारती बहुचर्चित नाम रहे हैं।
आदिशंकराचार्य एवं मंडन मिश्र के बीच खंडन मंडन शास्त्रार्थ के दौरान उभया भारती यहां एक सदस्यीय निर्णायक मंडल हैं।
चौदहवीं शती की संत गंगा देवी यहां संस्कृत महा-काव्य 'मधुराविजयम' ग्रंथ की रचना करतीं हैं। ऋग्वेद की सुलभःशाखा (सुलभा शाखा )ऋषिका सुलभा के नाम पर आई है।
उड़ीसा का 'लिंगराज' भव्य देवालय महिला शिक्षिकाओं को भित्ति चित्रों में उकेरे हुए हैं जहां छात्र छात्राओं को सह -अध्ययन रत दिखलाया गया है।पूजा पाठ ,श्रुति पाठ शिक्षण में महिलाओं की बराबर की भागेदारी रही आई है सनातन हिंदुत्व परम्परा में। औरत किसी भी मायने में दोयम दर्ज़े पर नहीं रही है।
'यश दधाति यशोदा : ' यहां कृष्ण की माता हैं। कुंती पांडवों की। सीता सावित्री पार्वती द्रौपदी बहुश्रुत नाम हैं।
मीराबाई ,कारैक्कॉल अम्मैयार ,अक्का महादेवी ,मुक्ता और जनाबाई बहुश्रुत रहीं हैं। लल्लेश्वरी काश्मीरी गौरव की कवियत्री और शिव भक्त रहीं हैं।
In modern Times Ma Sharada ,Mata Amritanandmayi ,Ma Anandmayi ,Karunamayi ,Mother Mira Aditi ,Sister Nivedita ,Mata Nirmala Devi ,Didi Ritambhara Devi ,Ma Anand Murti and many others are well known .
सबको गणना में ले पाना मेरी अल्प बुद्धि का परिचयाक है।
https://www.youtube.com/watch?v=qLdUesiPSb0
इतिहास का सबसे बड़ा शास्त्रार्थ महिषी के मंडान मिश्र और शंकराचार्य के बीच महिषी( सहरसा )
https://www.youtube.com/watch?v=cFBmezj_PMs
ttps://www.youtube.com/watch?v=qLdUesiPSb0
इतिहास का सबसे बड़ा शास्त्रार्थ महिषी के मंडान मिश्र और शंकराचार्य के बीच महिषी( सहरसा )
https://www.youtube.com/watch?v=cFBmezj_PMs
विद्या ,ज्ञान-विज्ञान , ललित एवं संगीत अभिनय आदि कलाओं की देवी यहां सरस्वती हैं। सांगीतिक प्रस्तुतियों के पहले दीप प्रज्जवलित किया जाता है माँ सरस्वती का आवाहन करने के लिए।
लक्ष्मी तमाम वैभव और सम्पदा ,धन की दात्री है। आराध्या है सनातन धर्मी भारतधर्मी समाज की।
दुर्गा और काली दुष्ट संहारक हैं।
अथर्व वेद की ऋचाओं का आरम्भ देवी उपासना से होता है :
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता (मनुस्मृति )
अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है देवगण विराजते हैं वहां।
तैत्तिरीय उपनिषद में आया है :
मातृदेवो भव
Let your mother be God to you
माँ हमारे लिए परमात्मा की तरह आराध्या है
मनुस्मृति का उद्घोष है :
A family whose women live in sorrow perishes .The family whose women are happy always prospers .A household whose unhappy women members curse perishes completely -Manusmriti
यहां गांधारी कृष्ण को भी शाप दे सकती है।
किसी राष्ट्र के नागर बोध का निर्णय इस बात से होता है वहां महिलाओं का सम्मान कितना होता है -पूर्वराष्ट्रपति अवुल पाक़िर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम साहब
ऋग्वेद के ४०७ साधू संतों में से २१ महिला संत हैं।ऋषिका गार्गी ,उभया भारती बहुचर्चित नाम रहे हैं।
आदिशंकराचार्य एवं मंडन मिश्र के बीच खंडन मंडन शास्त्रार्थ के दौरान उभया भारती यहां एक सदस्यीय निर्णायक मंडल हैं।
चौदहवीं शती की संत गंगा देवी यहां संस्कृत महा-काव्य 'मधुराविजयम' ग्रंथ की रचना करतीं हैं। ऋग्वेद की सुलभःशाखा (सुलभा शाखा )ऋषिका सुलभा के नाम पर आई है।
उड़ीसा का 'लिंगराज' भव्य देवालय महिला शिक्षिकाओं को भित्ति चित्रों में उकेरे हुए हैं जहां छात्र छात्राओं को सह -अध्ययन रत दिखलाया गया है।पूजा पाठ ,श्रुति पाठ शिक्षण में महिलाओं की बराबर की भागेदारी रही आई है सनातन हिंदुत्व परम्परा में। औरत किसी भी मायने में दोयम दर्ज़े पर नहीं रही है।
'यश दधाति यशोदा : ' यहां कृष्ण की माता हैं। कुंती पांडवों की। सीता सावित्री पार्वती द्रौपदी बहुश्रुत नाम हैं।
मीराबाई ,कारैक्कॉल अम्मैयार ,अक्का महादेवी ,मुक्ता और जनाबाई बहुश्रुत रहीं हैं। लल्लेश्वरी काश्मीरी गौरव की कवियत्री और शिव भक्त रहीं हैं।
In modern Times Ma Sharada ,Mata Amritanandmayi ,Ma Anandmayi ,Karunamayi ,Mother Mira Aditi ,Sister Nivedita ,Mata Nirmala Devi ,Didi Ritambhara Devi ,Ma Anand Murti and many others are well known .
सबको गणना में ले पाना मेरी अल्प बुद्धि का परिचयाक है।
https://www.youtube.com/watch?v=qLdUesiPSb0
इतिहास का सबसे बड़ा शास्त्रार्थ महिषी के मंडान मिश्र और शंकराचार्य के बीच महिषी( सहरसा )
https://www.youtube.com/watch?v=cFBmezj_PMs
ttps://www.youtube.com/watch?v=qLdUesiPSb0
इतिहास का सबसे बड़ा शास्त्रार्थ महिषी के मंडान मिश्र और शंकराचार्य के बीच महिषी( सहरसा )
https://www.youtube.com/watch?v=cFBmezj_PMs
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