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क्या हम अधजले मुर्दे ,पूजा का सामान यूं ही नदियों के वक्षस्थल पर उड़ेलते रहेंगे ?

ताकि यमुना मैली न हो (पानी की पवित्रता १५ सितंबर अंक  )इसके लिए जनता जनार्दन सभी का सहयोग ज़रूरी है।  हमें अपने जलस्रोतों की खुद ही हिफाज़त करनी होगी। ज़रूरी नहीं है हमारे यहां भी शिकागो की तरह शिकागो नदी के जलमल से संदूषित होने जलापूर्ति में इस जल के शामिल होने से  प्लेग फैले उसके बाद शहर और नियोजक चेते ,ढाई सौ साल पहले वहां यही हुआ था आज शिकागो नदी और हिमनद से बनीं झील का पानी पारदर्शी है नीले जल में नीला आसमान स्काईलाइन दर्शनीय है शिकागो की। (मुझे दो मर्तबा यह मौक़ा मिल चुका है )वहां की जलमल निकासी व्यवस्था को खंगालने का। दिल्ली आगरा गुरुग्राम को यमुना ,आगरा तथा गुरुग्राम नहरों को स्वच्छ रखना है ,तो शहरी जलमल का जलस्रोतों में छोड़ना (विसर्जन )मुल्तवी रखना होगा। इसका विकल्प खोजा जाना ही चाहिए। प्रदूषण कानूनों का उल्लंघन दंडनीय अपराध और रुपया दो लाख का जुर्माना मुक़र्रर किया जाए। डंडे से चलता है - देश कोई भी हो। अमरीका में अन-यूज़्ड मैटीराल भी किराए पे ली जगह पे छोड़ना दंडनीय है वहां दंड का मतलब दंड है। उदंडता नहीं।व्यवहार और भाषण के बीच का फर्क पाटना नदियों को स्वच्छ रखने के लिए ज़रूरी है भाषण में नदियाँ हमारे यहां पूज्य हैं जल देवता है ,भू -देवी है ,वायु -देव है ,अग्नि भी देव है आकाश भी। व्यवहार में रखैल। कुछ भी हम कहीं भी दफन कर देते हैं  छोड़  देते हैं चुपके से आँख बचाकर ला -परवाह होकर हम लोग।
सरकार द्वारा जमुना की सुध लेना आगरा और गुरुग्राम नहरों की संभाल करने की की ओर ध्यान केंद्रित करना बड़ा स्वागत योग्य कदम हैं हम सभी को भी इन्हें स्वच्छ रखने में अपना योगदान देना होगा।

क्या हम अधजले मुर्दे ,पूजा का सामान यूं ही नदियों के वक्षस्थल पर उड़ेलते रहेंगे ?  

वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा ),८७० /३१ ,भू -तल,निकटस्थ एफएम स्कूल ,फरीदाबाद -१२१ ००३  

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