राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी जो विश्ववन्द्य रूप में सभी के आदर के पात्र हैं उनकी प्रतिमा पर कुछ लोगों ने कालिख पोत दी है। दुर्भाग्य यह है कि वे ये समझते हैं कि राहुलगांधी उन्हीं का वंशधर है। ये भ्रम नेहरुपंथी कांग्रेस ने अदबदाकर पैदा किया है। क्या राहुल ये बता सकते हैं कि वह अपने नाम के साथ गांधी क्यों लिखते हैं। राहुल का यह मानना है के उनकी दादी भी अपने नाम के आगे गांधी लिखती थी पिता राजीव भी लिखते थे। पर क्या वह ये बता सकते हैं कि पारसी समाज में क्या कोई गांधी नाम की उपजाति होती है ?लगता है नेहरूकांग्रेस के प्रति जो लोगों के मन में खीझ है मूर्ती पे कालिख पोत कर उस खीझ को उतारा गया है। ये तो वही बात हो गई कि करे जुम्मा पिटे मुल्ला। मूर्ती भंजन की इस घटना को रक्तरँगी कामरेडों से जोड़ दिया जाए तो उनके गढ़ (केरल )में उन्हीं के कारिंदों की साजिश लगती है क्योंकि ये कामरेड ही हैं जो अपने पूर्वजों को गाली दे सकते हैं। अपने बाप के मुंह पर भी कालिख पोत सकते हैं। उनके पास लेनिनवादी तर्क है बाप है तो क्या हुआ है तो बुर्जुवा न। इसलिए तो ये सेकुलर मातृभूमि की वंदना...