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झूठ जीवी झूठ सेवी भडुवों से पूछा जा सकता है : (१ )वो इक्कीस साला मासूम दिशाहीन दिशा प्रकाश -हीना रवि एम.धालीवाल के संग ज़ूम मीटिंग में क्या नमाज़ पढ़ रही थी ?यही वही खालिस्तानी है जो खुले आम भारत को निशाने पे लिए हुए है ,कौन सा पर्यावरण किट गढ़ रही थी ये विदूषी ?

  झूठ जीवी झूठ सेवी भडुवों से पूछा जा सकता है : (१ )वो इक्कीस साला मासूम दिशाहीन दिशा प्रकाश -हीना रवि एम.धालीवाल के संग ज़ूम मीटिंग में क्या नमाज़ पढ़ रही थी ?यही वही खालिस्तानी है जो खुले आम भारत को निशाने पे लिए हुए है ,कौन सा पर्यावरण किट गढ़ रही थी ये विदूषी ? (२ )क्या इसे इस बिना पे छोड़ दिया जाए ये कामोदरियों मार्क्सवाद के बौद्धिक भकुवों की वेमुला की तरह सेवा कर रही थी। हश्र इसका भी वही होगा। आत्मघात ही करेगी आखिर में ,जो युवा इन भकुवों के हथ्थे चढ़ गया ,आत्मग्लानि  से ही मर गया। (३ )आज इक्कीसाला कई युवावृन्द कृत्रिम बुद्धि के ज़रिये कैंसर जैसी लाइलाज दुसाध्य बीमारियों का इलाज़ खोज रहे हैं। सबसे ज्यादा प्रोडक्टिव सौपान है ये उम्र जीवन का।  इक्कीस -साला युवतियां टूल बन गईं आज , ट्विटर के ज़रिये करें वे गुमराह समाज।   वे गुमराह समाज देश में आग लगाएं , 'इनके करतब देख प्रियंका बलि -बलि जाएँ।  खुराफात में लीन कामोदरी दिल की खोटी , करती गहरे घाव भले दिखती हो छोटी। (ॐ प्रकाश जी तिवारी ).  एक अदद बावली बूच बेहद मुदित है ,ट्वीट पे ट्वीट किये जाए है ,इठलाये ,खिलखिलाये है ,अफवाह दर अफवाह फैलाये

उस दौर में जबकि उद्योग सेवी सर्वमान्य रतन टाटा जी को कृतज्ञभारत धर्मी समाज उनकी निस्स्वार्थ आलमी सेवाओं के लिएभारत रत्न देने की भारत सरकार से अनुशंषा कर रहा है ,डिल्यूजन से ग्रस्त सोनिया कांग्रेस लाडला और लाडली देश का मान सम्मान बढ़ाने वाले हमारे उद्यमियों के खिलाफ एक आलमी मुहिम के मोहरे सहर्ष बनते आ रहे हैं

                                                                                     हरे कृष्णा !      उस दौर में जबकि उद्योग सेवी सर्वमान्य रतन टाटा जी को कृतज्ञभारत धर्मी समाज                                                                  उनकी निस्स्वार्थ आलमी सेवाओं के लिएभारत रत्न देने की भारत सरकार                                         से अनुशंषा कर रहा है ,डिल्यूजन से ग्रस्त सोनिया कांग्रेस लाडला और लाडली   देश का मान सम्मान बढ़ाने वाले हमारे उद्यमियों के खिलाफ एक आलमी मुहिम  के मोहरे      सहर्ष बनते आ रहे हैं ,इन्हीं के प्रोपेगेंडा के चलते जियों के डेढ़ हज़ार से ज्यादा मोबाइल टावर्स तहस नहस किये गए हैं। अभी इनका देश विरोधी दुष्प्रचार थमा नहीं है। यह भारत की युवा मेधा का अपमान है। इन्हें खुद तो सिवाय माता की जय बोलने के अलावा कुछ आता नहीं है ,भारत धर्मी समाज को पहुंचने वाली पीड़ा का इन्हें ज़रा भी अंदाज़ा नहीं है। पंडित जी तो ऐसे नहीं थे आलमी दिखने की कोशिषों में भले उनसे कुछ रणनीतिक गलतियां हुईं ,उनकी  महत्वकांक्षा के चलते देश का बंटवारा हुआ ,लेकिन उन्हें अपभाषा के लिए कभी नहीं ज

मोदी है तो मौक़ा है

मोदी है तो मौक़ा है। मत चूके  चौहान।निकाल लो  भंडास  जितनी निकाली जाए ,राजनीति के खड़गों  मूढ़ -धन्यों   एक ज़िंदा दिल इंसान है मोदी नरेंद्र दामोदर जो खुद के साथ मज़ाक कर सकता है। हँसते हँसते आन्दोलनानंदों (आंदोलन जीवियों ),राजनीतिक जोंकों ,राजनीति के धंधेबाज़ पिस्सुओं के वार न सिर्फ सह सकता है उनका आनंद भी ले सकता है।   मेरे एक  सहयोगी प्राध्यापक मित्र ने एक मर्तबा एक शैर कहा था : ज़ुल्म की मुझपे इंतिहा कर दे , मुझ सा बे -जुबां  फिर कोई , मिले न मिले।  अपना मोदी मुखर है -बे -जुबां नहीं है ,निर्बुद्ध नहीं है राहुल कुमारों सा, प्रज्ञावान है,स्थित प्रज्ञ है ,वाक् पटु है ,वागीश है ,शब्दालोकों की सृष्टि करता है ,खुद भी आगे बढ़ता है देश को भी आगे बढ़ाता है। हतप्रभ हैं अबुध -कुमार ,अबुधकुमारियाँ -मोदी को गुस्सा क्यों नहीं आता।  आपदा में अवसर निकाल लेता है मोदी।  प्रत्युत्पन्न मति है मोदी। हाज़िर ज़वाब ला -ज़वाब है मोदी।   तमाम हताश लोग ,राजनीति में पिटे हुए मोहरे चीखें चिलायें -चोकीदार चोर है -रुदालियों को बुलाकर स्यापा करवाएं -मोदी है तो मौक़ा है ,खोल लो गांठें तमाम अवचेतन की ,हो जाओ नार्मल ,बन जाओ इंसा

खबरदार रहना है ज़ेहन में रखना है इस गैंग को जिन्होनें (भोले )-भाले -बरछी किसान वेषधारियों को आगे किया हुआ है पंजाब पश्चिमी बंगाल और उत्तरप्रदेश सदनों के चुनाव में लीड लेने की नीयत से

राहुल गांधी और स्वीडन की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थुन बर्ग  में क्या अंतर है जबकि दोनों एक ही काम कर रहे हैं दोनों की भौगोलिक स्थिति में भले अंतर हो लेकिन एक ही टूल किट के अनुगामी हैं ये दोनों शातिर जो पराली जलाकर दिल्ली और आसपास की हवा को गंधाते रहे हैं उन किसान वेषधारियों को भड़का रहे हैं। हमारा मानना है राहुल इस टूल किट से पहले से वाकिफ थे ,वे इसमें उल्लेखित भारत के दो नामवर घरानों के खिलाफ विषवमन करते रहें हैं उसी का नतीजा था पंजाब में मोबाइल टावरों की खुली तबाही जिसकी अगुवाई वहां के मुखिया करते रहें हैं। भारत धर्मी समाज के मेरे हमवतनों प्रात : स्मरणीय है इन शातिरों से आवाम को आगाह करते रहना। इनमें सभी बावन गज के हैं। चाहे वह अब तक दिल्ली के प्रदूषण को हवा पानी मिट्टी को संदूषित करने के पीछे उत्तर प्रदेश (पश्चिमी ),हरयाणा और पंजाब के किसानों की पराली जलाने की आदत का हाथ देखने वाले केजरीवाल (गिरगिटिया स्वामी असत्यानन्द केजर -बवाल )रहें हों या टुकड़ा- टुकड़ा गैंग के सरगना। दिल्ली की सीमाओं को ऐशगाहों में तब्दील करने वाले भगवानों के पास निरंतर यही गैंग लगातार पहुँच रहा है। भारत तेरे टु

ये ही किसान नाम के आंदोलन को अफवाह का टेका लगाने वाले शहज़ादे हैं

  अब जबकि मिया खलीफा ,ग्रेटा थुन बर्ग ,और राहुल सोच की रिया के ट्विटिंग रेट्स सामने आ चुके हैं देश जानना चाहता है राहुल गाँधी जो काफी समय से चीं चीं चें चें करते रहें हैं कृपया बतलाये एक ट्ववीट पोस्ट करने का कितना मेहनताना मिलता है (रणदीप )सुरजेवाला जिनका एक भी पुर्जा नहीं है अपना बतलायें उन्हें रिया के ट्ववीट को री -ट्ववीट करने का कितना पैसा मिला। दोस्तों इन्हें अपने अपने ज़ेहन में बिठा लो  अब जबकि मिया खलीफा ,ग्रेटा थुन बर्ग ,और राहुल सोच की रिया के ट्विटिंग रेट्स सामने आ चुके हैं देश जानना चाहता है राहुल गाँधी जो काफी समय से चीं चीं चें चें करते रहें हैं कृपया बतलाये एक ट्ववीट पोस्ट करने का कितना मेहनताना मिलता है (रणदीप )सुरजेवाला जिनका एक भी पुर्जा नहीं है अपना बतलायें उन्हें रिया के ट्ववीट को री -ट्ववीट करने का कितना पैसा मिला। दोस्तों इन्हें अपने अपने ज़ेहन में बिठा लो ये ही किसान नाम के आंदोलन को अफवाह का टेका लगाने वाले शहज़ादे हैं जिन्हें अनगिन लोगों को रोज़गार देश के विकास को गति प्रदान करने वाले नायाब उद्यमी  बंधू पसंद नहीं हैं दो नाम इनके हीमोग्लोबिन में मिल चुकें हैं राहुल गा