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उस दौर में जबकि उद्योग सेवी सर्वमान्य रतन टाटा जी को कृतज्ञभारत धर्मी समाज उनकी निस्स्वार्थ आलमी सेवाओं के लिएभारत रत्न देने की भारत सरकार से अनुशंषा कर रहा है ,डिल्यूजन से ग्रस्त सोनिया कांग्रेस लाडला और लाडली देश का मान सम्मान बढ़ाने वाले हमारे उद्यमियों के खिलाफ एक आलमी मुहिम के मोहरे सहर्ष बनते आ रहे हैं

                                                                   हरे कृष्णा !    

उस दौर में जबकि उद्योग सेवी सर्वमान्य रतन टाटा जी को कृतज्ञभारत धर्मी समाज                                                     उनकी निस्स्वार्थ आलमी सेवाओं के लिएभारत रत्न देने की भारत सरकार                                 से अनुशंषा कर रहा है ,डिल्यूजन से ग्रस्त सोनिया कांग्रेस लाडला और लाडली  देश का मान सम्मान बढ़ाने वाले हमारे उद्यमियों के खिलाफ एक आलमी मुहिम  के मोहरे     सहर्ष बनते आ रहे हैं ,इन्हीं के प्रोपेगेंडा के चलते जियों के डेढ़ हज़ार से ज्यादा मोबाइल टावर्स तहस नहस किये गए हैं। अभी इनका देश विरोधी दुष्प्रचार थमा नहीं है। यह भारत की युवा मेधा का अपमान है। इन्हें खुद तो सिवाय माता की जय बोलने के अलावा कुछ आता नहीं है ,भारत धर्मी समाज को पहुंचने वाली पीड़ा का इन्हें ज़रा भी अंदाज़ा नहीं है। पंडित जी तो ऐसे नहीं थे आलमी दिखने की कोशिषों में भले उनसे कुछ रणनीतिक गलतियां हुईं ,उनकी  महत्वकांक्षा के चलते देश का बंटवारा हुआ ,लेकिन उन्हें अपभाषा के लिए कभी नहीं जाना गया।

इस रक्त बीज को अपभाषा गालीगलौज के सिवाय कुछ आता नहीं। पूर्व में दुर्मुख दिग्विजय से इसके गुरु रहें हैं तो अब एक चिरकुट जिसका एक भी पुर्जाअपना नहीं है इसे पर्चियां थामाता रहता है। इसे सुरजा कहा जाताहै। 

टिकैतनुमा -डिज़ाइनर किसान इन्हीं के कमीशन एजेंट हैं। वाम से इनकी गलबहियां देश की आज़ादी के पूर्व से रहीं हैं। भारत धर्मी समाज इन्हें बारहा आगाह कर रहा है : बोलना सीख गए हो गत तीस बरसों में तो सार्थक बोलो ,कम बोलो, मीठा बोलो।                                                                                                                                                                                                                                                                                          

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