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सितंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Mecca holy site for Muslims, not Ayodhya: Uma Bharti

Declaring Ayodhya a “historic” place for the Hindus, Union Minister Uma Bharti on Thursday claimed that the disputed area cannot be a religious place for Muslims as they consider Mecca to be their holy land. Welcoming the court order to begin the case hearing from next month, BJP MP Uma Bharti said, "It is an important day for me and I welcome the Supreme Court decision on Ayodhya. I hope for a verdict soon." Speaking to reporters on the sidelines of the Supreme Court order that hearing for the Ayodhya title suit will begin from October 29, the BJP MP from Madhya Pradesh claimed that the dispute over the Ram Janmabhoomi-Babri Masjid area was never “religious” in nature but was turned into one. Read |  Ayodhya-linked verdict: SC refuses to review 1994 judgment that said ‘mosque is not integral to Islam’ “This isn’t a matter of religious dispute, as Ayodhya is an important religious place for the Hindus because it is the birthplace of Lord Ram. For Muslims,

'गठबंधन या ठगबंधन है ' कह नहीं सकते -डॉ. नन्द लाल मेहता 'वागीश ', सहभावी :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

'गठबंधन या ठगबंधन है ' कह नहीं सकते -डॉ. नन्द लाल मेहता 'वागीश ',  सहभावी :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )  १२१८ ,शब्दालोक ,गुरुग्राम (हरियाणा )१२२ ००१,दूर-ध्वनि :१२४४० ७७ २१८ (12440 77 218 )  'गठबंधन या ठगबंधन है ' कह नहीं सकते                                  (१ ) नापसंद हैं एक दूजे को ,होंठों पर फ़र्ज़ी मुस्कानें , हाथ पकड़ फोटो आलिंगन ,रह नहीं सकते।   गठबंध या ठगबंधन है कह नहीं सकते।                                 (२ ) आखिर तो कुछ सांझा रिश्ता ,भारत देश विखंडन हिंसा , बांटो सबको तोड़ो भारत ,परिवारों की एक बद्धता ,सह नहीं सकते। गठबंध या ठगबंधन है कह नहीं सकते।                                  (३ ) तुष्टि -पुष्टि ,वोटपरस्ती ,एकल नीति जाति  मज़हब  और जिहादी नक्सल पंथी ,अत्र कुशल सर्वत्र कुशल है मटुक नाम , आँख चलाने जफ्फी पाने में सरनाम , द्वंद्व -प्रयासी ,चतुर मार्क्सी बौद्धिक गुलाम हैं। मामा माओ ,चाचा चाओ ,लेनिन महान हैं।  डाक -पता जे एन यू केवल सदर मुकाम है।  बड़े गर्व से ऐसा कहते ,गठबंधन या ठगबंधन है कह नहीं सकते।                                (३

कविता डॉ. वागीश मेहता नन्द लाल : दिन बीता फिर आई रात ,रिमझिम सी बौराई रात

कविता डॉ. वागीश मेहता नन्द लाल : दिन बीता फिर आई रात ,रिमझिम सी बौराई रात               (१ ) आँखें अपनी  सपने उनके , ऐसी हुई पराई रात।  सावन बदरा और घटाएं , उसकी है परछाईं रात।              (२ )  बरखा की छप -छप बौछारें , जिनमें खूब नहाई  रात।  चाँद का मुखड़ा लगे सलोना , यौवन में गदराई रात।              (३ ) मिलकर उससे करें ठहोका , लेती फिर अंगड़ाई रात।  होंठों पर अशआरे मुहब्बत , फिर से है शरमाई रात।               (४ ) चाँद सितारे  फ़रियादी हैं , करती है सुनवाई रात।  जाने कितने ख़्वाब मिटाकर , हौले से मुस्काई रात।               (५ ) यादों की जलती तीली ने , धीरे से सुलगाई रात।  सुलग गई जब रात  सुहानी , काटे न कट पाई रात।              (६ ) बीती नहीं बिताई जाए , अब तो ये हरजाई रात। दिन बीता फिर आई रात , रिमझिम सी बौराई रात। १२१८ ,शब्दालोक ,अर्बन इस्टेट ,गुरुग्राम -१२२ -००१  दूरभाष भारत :१२४४० ७७ २१८ (From USA 01191 -12449 77 218 )  प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ) कैन्टन (मिशिगन )USA  veerujialami.blogspot.com क्षेपक

Secrets of RSS Demystifying the Sangh(HINDI ALSO )

RSS volunteers at a camp in Shimla last year. आरएसएस संक्षिप्त रूप है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का। संघ एक राष्ट्रीय सांस्कृतिक गैरराजनीतिक संगठन है अपने जन्म से ही। आज इससे संबद्ध समाज सेवी संस्थाओं का एक पूरा नेटवर्क इंटरनेट की तरह सारे भारत में देखा जा सकता है। इन संस्थाओं के पूरे नेटवर्क ,फैलाव- प्रसार को ही 'संघपरिवार 'कहा जाता है। यदि आप इसी संस्था के बारे में मानस प्रकाशन ,4402/5A ,Ansari Road (Opp. HDFC Bank ),Darya Ganj ,New -Delhi -110 -002 से प्रकाशित पुस्तक 'Secrets  of RSS Demystifying the Sangh ,लेखक रतन शारदा ,पढेंगे और भारतधर्मी समाज से आप गहरे जुड़े हैं आपकी धड़कनों में भारत की सर्वसमावेशी संस्कृति का थोड़ा सा भी अंश मौजूद है ,आप इस संस्था की सहनशीलता ,औदार्य और भारत राष्ट्र के एकत्व को बनाये रखने की इसकी जी जान से की गई कोशिश की तारीफ़ करने में कंजूसी नहीं बरतेंगे। काश इस संस्था का फैलाव आज़ादी से पहले आज जैसा व्यापक होता तो मुस्लिम लीग और लेफ्टिए  अखंड भारतवर्ष के विभाजन का प्रस्ताव पारित करने से पहले ज़रूर संकोच करते। अपने वर्तमान स्वरूप में इसे

इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जो बाप का नाम पूछने पर खुश होकर कहते हैं माओत्से ,देश का नाम पूछने पर भी कहते हैं माओत्से

मार्क्सवाद के मानसिक गुलाम लेफ्टिए खुलकर सामने आ गए हैं। कहने लगें हैं हम संसद के अंदर धोंस-पट्टी से  जाएंगे। संसदीय अधिकारों के अंदर से देश को तोड़ेंगे। कन्हैया ने जो भी कहा था उसको आगामी चुनाव के लिए नामित करना उसके प्रलाप पर लेफ्टीयों का मुहर लगाना है.    अब सवाल उठता है के वृहत्तर समाज क्या ये सब कुछ चुपचाप देखता रहेगा या इन मानसिक रोगियों के इलाज़ के लिए आगे आएगा। इनका इलाज इनकी जमानतें ज़ब्त कराना है क्योंकि ये लोग सहामनुभूति के पात्र है जब कोई व्यक्ति मानसिक रोगी हो जाता है आम भाषा में विक्षिप्त या पागल हो जाता है उसे इलाज़ की ज़रुरत होती है।  इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जो बाप का नाम पूछने पर खुश होकर कहते हैं माओत्से ,देश का नाम पूछने पर भी कहते हैं माओत्से। जैसे छोटा बच्चा सब कुछ रोकर अभिव्यक्त करता है क्योंकि उस दूधमुंहे को भाषा का इल्म नहीं होता वही हाल इनका है। ये एक ही शब्द से वाकिफ हैं :माओत्से।  इनका रोदन और ऊंचे स्वरों में प्रलाप इन दिनों ट्वीटर पर देखा जा सकता है :चेहरे और वेशभूषा और नाम या फिर दल अलग अलग भले हों  वेषधारी साधुओं की तरह काम सबका एक ही देश को डंके की चोट प