सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जून, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चीखें

वो चीखें नहीं थप्पड़ की अनुगूँजे थीं। पूरे ६६ घंटा मेडिकल कॉलिज का जनरल वार्ड इन बेहद की जन -पीड़ा बनीं चीखों को झेलता रहा। पूरा वार्ड इन चीखों का सहभोक्ता  बन चुका था। अकसर होता है ये छोटी सी समझी  गई ज़िंदगी में जब आपकी पीड़ा उन तमाम लोगों ,चश्मदीदों को भी तदानुभूत पीड़ा रूप  होने लगती है जो कभी आपको जानते ही नहीं थे। सड़क पर पड़े दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को छटपटाते देख यही तदानुभूति मुझे आपको हम सबको होने लगती है।        थप्पड़ एक था उसके सहभोक्ता अनेक थे। वार्ड में भर्ती मरीज़ भी उनमें शरीक थे। वह औरत बेतरह झुलस गई थी डॉक्टरों के अनुसार ९५ फीसद बर्न्स थे। जले के थर्ड डिग्री घावों से प्रोटीन रिसने लगा था.   हाँ जांच हुई थी इस वाकये की उस शख्स की शादी के सत्रह बरस बाद भी। दो -दो सबडिविजनल मजिस्ट्रेट खोद खोद के उस झुलस चुकी महिला से पूछ रहे थे जो डिलीरियम में थी जबकि इस स्थिति में होश का लेवल पांच फीसद ही रहता है ऐसा स्वास्थ्य कर्मियों ने  बतलाया था।  'तो तुम्हारे ऊपर केरोसिन फेंका किसने था सामने से या पीछे से कैसे किसने फेंका था। कुछ तो याद करो।' -पूछ रहे थे दोनों मजिस्ट्रेट। आज़िज़ आकर

सनातन धर्म ,सनातन परम्पराओं के ये सनातनी वैरी और इनकी एकल अम्मी मल्लिकाए इटली जब तक ज़िंदा है ,भगवान राम की अवमानना यूं ही होती रहेगी -संजय सिंह -सिसोदिया जैसे आ-पिए कलपुर्जे मात्र हैं उस सुरजे की तरह जो वैसे तो उकील है लेकिन अपना होम वर्क करके नहीं आते हैं ।

 स्वातंत्र्योत्तर भारत के पहले नवाब ने जो विष वृक्ष बोया था वह अब फल देने लगा है। इस वृक्ष का पहला फल स्वामी -असत्यानन्द उर्फ़ केजरीबवाल हैं उन्हीं के प्रवक्ता आज राममन्दिर निर्माण होते देख बौखलाने लगें हैं।ट्रस्ट की ज़मीन पर अपनी  गन्दी जुबां का इस्तेमाल कर रहें हैं।   चर्चिया औलाद जिन्हें टूलकिटिया गैंग के रूप में बेहतर जाना जाता है -एक अदद अयोग्य कुमार और एक रूपसी वडेरा ट्विटियाने  लगें हैं। इनकी अम्मा ने आते ही शंकराचार्य  जयेन्द्र  सरस्वती को एक साज़िश के तहत आरोपी बनाकर चर्च को दिया अपना वायदा पूरा किया था।  इनकी ददई ने तीन सौ साधुओं की हत्या -गौ हत्या  बंदी मुद्दे पर (करपात्री महाराज की देख रेख  में चले धरने  प्रदर्शन पर गोलियां चलवाकर १९६६ में करवा दी थी। यहां देखें :  सन १९६६ ई० के अक्‍तूबर-नवम्बर में अखिल भारतीय स्तर पर गोरक्षा आन्दोलन चला।  भारत साधु समाज ,  सनातन धर्म ,  जैन धर्म  आदि सभी भारतीय धार्मिक समुदायों ने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया।   ७ नवम्बर १९६६  को संसद् पर हुये ऐतिहासिक प्रदर्शन में देशभर के लाखों लोगों ने भाग लिया।  इंदिरा गांधी  के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस