सनातन धर्म ,सनातन परम्पराओं के ये सनातनी वैरी और इनकी एकल अम्मी मल्लिकाए इटली जब तक ज़िंदा है ,भगवान राम की अवमानना यूं ही होती रहेगी -संजय सिंह -सिसोदिया जैसे आ-पिए कलपुर्जे मात्र हैं उस सुरजे की तरह जो वैसे तो उकील है लेकिन अपना होम वर्क करके नहीं आते हैं ।
स्वातंत्र्योत्तर भारत के पहले नवाब ने जो विष वृक्ष बोया था वह अब फल देने लगा है। इस वृक्ष का पहला फल स्वामी -असत्यानन्द उर्फ़ केजरीबवाल हैं उन्हीं के प्रवक्ता आज राममन्दिर निर्माण होते देख बौखलाने लगें हैं।ट्रस्ट की ज़मीन पर अपनी गन्दी जुबां का इस्तेमाल कर रहें हैं।
चर्चिया औलाद जिन्हें टूलकिटिया गैंग के रूप में बेहतर जाना जाता है -एक अदद अयोग्य कुमार और एक रूपसी वडेरा ट्विटियाने लगें हैं। इनकी अम्मा ने आते ही शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को एक साज़िश के तहत आरोपी बनाकर चर्च को दिया अपना वायदा पूरा किया था।
इनकी ददई ने तीन सौ साधुओं की हत्या -गौ हत्या बंदी मुद्दे पर (करपात्री महाराज की देख रेख में चले धरने प्रदर्शन पर गोलियां चलवाकर १९६६ में करवा दी थी।
यहां देखें :
सन १९६६ ई० के अक्तूबर-नवम्बर में अखिल भारतीय स्तर पर गोरक्षा आन्दोलन चला। भारत साधु समाज, सनातन धर्म, जैन धर्म आदि सभी भारतीय धार्मिक समुदायों ने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया। ७ नवम्बर १९६६ को संसद् पर हुये ऐतिहासिक प्रदर्शन में देशभर के लाखों लोगों ने भाग लिया। इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने निहत्थे हिंदुओं पर गोलियाँ चलवा दी थी जिसमें अनेक गौ भक्तों का बलिदान हुआ था।
सनातन धर्म ,सनातन परम्पराओं के ये सनातनी वैरी और इनकी एकल अम्मी मल्लिकाए इटली जब तक ज़िंदा है ,भगवान राम की अवमानना यूं ही होती रहेगी -संजय सिंह -सिसोदिया जैसे आ-पिए कलपुर्जे मात्र हैं उस सुरजे की तरह जो वैसे तो उकील है लेकिन अपना होम वर्क करके नहीं आते हैं ।
ये योगीराज हैं योगी आदित्य नाथ - यहां राजा प्रजा सब बराबर हैं इस मुद्दे की जांच होगी ज़रूर होगी।दूध का दूध पानी का पानी होगा। देखते हैं ये आपिये और ये भौंपू ट्वीट कांग्रेस के कहाँ मुंह छिपाते हैं ?
अभी कल ही इस वाला -सुरजे ने झूठ बोला था -वैक्सीन के मुद्दे पर मालूम हो कॉलरे का टीका ,पोलियो ड्रॉप्स आदि अपने निर्माण के बहुत बाद भारत के लोगों को मयस्सर हुए थे जबकि कोरोना रोधी टीका साल भर में आ गया था। इस मुद्दे पर इस भाड़ू ने देश के प्रधान सेवक का मज़ाक उड़ाया था आधी अधूरी नहीं गलत जानकारी का हवाला देकर। इसके गुरु सिब्बल भी कहते थे वकालत छोड़ दूंगा राम मंदिर मुद्दे पर। ताज़्ज़ुब है मवेशुद्दीन खामोश क्यों हैं कहाँ उलझे हैं ?
वो काम भला क्या काम हुआ ,
जिस काम का बोझा सर पर हो।
वो इश्क भला क्या इश्क हुआ ,
जिस इश्क का चर्चा घर पर हो।
वो राम भला क्या राम हुआ ,
जो आउल के मुख न सोहे ,
श्री लंका मुख से न बोले।
नीचे देखिये एक मदारी को जो खुद को आप औरों को तू कहता है :यही है वह टूलकिटिया भौंपू
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