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स्वास्थ्य आपातकाल के इस दौर में भले ही कुंवर बे -चैन अपना साहित्यिक कर्म संपन्न कर गौ - लोक चले गए लेकिन जाते जाते संकट की इस घड़ी में भी आस के दीये जला गए

स्वास्थ्य आपातकाल के इस दौर में भले ही कुंवर बे -चैन अपना साहित्यिक कर्म संपन्न कर गौ - लोक चले गए लेकिन जाते जाते संकट की इस घड़ी  में भी आस के दीये जला गए। कोरोना ग्रस्त होने के अनन्तर भी वह लिखने से नहीं  चूके  . उनका दर्शन था कर्म  प्रारब्ध से आगे है। यदि इस जन्म का पुरुषार्थ (प्रयास ,एफर्ट )प्रबल है तो वह कल के पुरुषार्थ को पटखनी देकर नया प्रारब्ध  लिख सकता है। अखंड रामायण (वशिष्ठ रामायण )का यह दर्शन उनके हीमोग्लोबिन में बचपन से ही था। साहित्यिक कर्म उन्होंने इससे पूर्व जन्म में भी अवश्य किया होगा तभी तो साहित्य की अनेक विधाओं पर लिखा 'पांचाली' महाकाव्य तक आप पहुंचे लेकिन मन रमा गीत -ओ -ग़ज़ल में। तुझे गीतकार कहूँ या ग़ज़लगो कहूँ कह नहीं सकता। पहली मर्तबा उनको सत्तर के दशक में सर छोटूराम धर्म शाला सिविल रोड रोहतक के प्रांगण  में आयोजित कवि सम्मलेन में सुना ,आकाशवाणी रोहतक के प्रांगण में सुना उसी संध्या को और इसके तकरीबन पचास साल बाद गए फरवरी -मार्च २०२१ फरीदाबाद मॉडल स्कूल के सभागार में सुना।  उपस्थित श्रोताओं में मैं उनका वरिष्ठतम  श्रोता था कवि सम्मेलन के संपन्न होने पर बड़े न

जल्द से जल्द टीकाकरण बेहद जरूरी, नहीं तो कोरोना और मचाएगा तबाही! जानिए क्यों ऐसा कर रहे हैं विशेषज्ञ

  हेल्थकेयर विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को कोविड 19 वैक्सीन लेने में देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे वायरस को नए वेरिएंट विकसित करने का मौका मिलेगा और उनमें से कुछ वर्तमान टीकों की प्रभावकारिता को कम कर सकते हैं। उनका मानना है कि वैक्सीन नहीं लेने वाले अपने निकट और प्रियजनों के साथ बहुत अन्याय कर रहे हैं। भारत सरकार ने घोषणा की है कि 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को 1 मई से शुरू होने वाले कोविड 19 टीकाकरण में वैक्सीन लगाई जाएगी। जिससे महामारी को हराने में मदद मिलेगी। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि युवा और बुजुर्ग वैक्सीन लेने में संकोच कर रहे हैं। डॉ मर्विन लियो, क्लस्टर सीओओ, ग्लेनेगल्स ग्लोबल हॉस्पिटल्स का मानना है कि कोविड 19 वायरस अभी भी कई होस्ट्स को दोहराने और यह नए वैरिएंट को बनाने में सक्षम है उन्होंने कहा, "इनमें से कुछ वैरिएंट वर्तमान वैक्सीन की प्रभावकारिता को कम कर सकते हैं, जो निश्चित रूप से सही नहीं होगा। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि लोग एक दूसरे को जल्द से जल्द टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित करें और यह सुनिश्चित करें कि वायरस हमारे जीवन से बाहर चला जाए। "

खेला कैसा हो गया हमरे कूचबिहार, कलह -प्रिया एक कौतिकी अबहुँ न माने हार

प्रसांगिक कुंडलियां ओम प्रकाश तिवारी जी की  खेला कैसा हो गया ,कहें प्रशांत किशोर , है पश्चिम बंगाल में मोदी जी का ज़ोर।  मोदी जी का ज़ोर और क्या अब है बाकी , जब पिक्चर के पूर्व दिखा दी बढ़िया झांकी।  बिना लड़े ही हार मान बैठा है चेला , तो दीदी किस भाँति दिखाएंगी अब खेला।               -----------तिवारी ओम प्रकाश जी  खेला कैसा हो गया हमरे कूचबिहार, कलह -प्रिया एक कौतिकी अबहुँ न माने हार।  अबहुँ न माने हार ,है बड़ी ज़िद्दी आपा , करने लगी प्रहार ,है बड़ी जुल्मी धापा।  होवेगी द्रुत वेग से खुद ही नज़रबंद , फोड़ेगी सिर  ठीकरा  मुख्य चुनावी -नन्द।                       ---------------वीरुभाई              आप्त वचन : जो प्यार करते हैं अपमान को , वह प्राप्त कर लेते हैं भगवान् को।  अपमान अमृत के समान है ,सम्मान  विष सम है।आप शरीर हैं  ही नहीं और आत्मा का कैसा अपमान ,कौन कर सकता है आत्मा का अपमान ? मान बड़ाई ऊरमी, ये जग का व्यवहार। दीन गरीबी बन्दगी, सतगुरु का उपकार।।