प्रसांगिक कुंडलियां ओम प्रकाश तिवारी जी की
खेला कैसा हो गया ,कहें प्रशांत किशोर ,
है पश्चिम बंगाल में मोदी जी का ज़ोर।
मोदी जी का ज़ोर और क्या अब है बाकी ,
जब पिक्चर के पूर्व दिखा दी बढ़िया झांकी।
बिना लड़े ही हार मान बैठा है चेला ,
तो दीदी किस भाँति दिखाएंगी अब खेला।
-----------तिवारी ओम प्रकाश जी
खेला कैसा हो गया हमरे कूचबिहार,
कलह -प्रिया एक कौतिकी अबहुँ न माने हार।
अबहुँ न माने हार ,है बड़ी ज़िद्दी आपा ,
करने लगी प्रहार ,है बड़ी जुल्मी धापा।
होवेगी द्रुत वेग से खुद ही नज़रबंद ,
फोड़ेगी सिर ठीकरा मुख्य चुनावी -नन्द।
---------------वीरुभाई
आप्त वचन :
जो प्यार करते हैं अपमान को ,
वह प्राप्त कर लेते हैं भगवान् को।
अपमान अमृत के समान है ,सम्मान विष सम है।आप शरीर हैं ही नहीं और आत्मा का कैसा अपमान ,कौन कर सकता है आत्मा का अपमान ?
मान बड़ाई ऊरमी, ये जग का व्यवहार।दीन गरीबी बन्दगी, सतगुरु का उपकार।।
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