सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जुलाई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एक पुष्पांजलि श्री वागीश मेहता जी नन्द लाल

                                                                                                                                                                                    Shared with Public The body has to reduce to its basic elements of which it was an aggregate ,Dr Vageshji remains in my speech enriched vocabulary ,in my hemoglobin and the pen which.he passed on to any akin to me. veerujan.blogspot .com veerujan.blogspot .com JAGRAN.COM नहीं रहे भाषा-दर्शन के मर्मज्ञ डॉ. नंदलाल मेहता 'वागीश' अखिल भारतीय साहित्य परिषद के पर्याय रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नन्दलाल महता वागीश का बुधवार सुबह निधन हो गया। 2 Meenakshi Sharma and Amit Saini दैहिक आकर्षण से ज्यादा खिंचाव व्यक्ति की वाणी और सम्भाषण में होता है ,वागीश जी के संसर्ग में उनके वाक् का यह आकर्षण मेरे दिलो -दिमाग में लगातार बढ़ता रहा। अभी और बढ़ता चरम को छूता इससे पहले वह चले गए। भले इसके संकेत मुझे प

चलती को गाड़ी कहे ,खरे दूध का खोया , रंगी को नारंगी कहे ,देख कबीरा रोया यस्य सत्ता न अस्ति एवं गते तद् प्रतीयते अर्थात जिसकी सत्ता नहीं है पर वह प्रतीत हो वह माया है चलती को गाड़ी कहे ,मालतत्व को खोया , रँगी को नारंगी कहे ,देख कबिरा रोया। चलती को गाड़ी कहे ,खरे दूध का खोया , रंगी को नारंगी कहे ,देख कबीरा रोया। We say "being lost "to very essence of milk (milk product Khoya,is obtained when milk is boiled for a long time on slow and steady heat ,and becomes milk extract Khoya, the semi solid remnant )extract and people say colorless to a colored fruit . Narangi (orange coloured citrous fruit) . कबीर कहते हैं इस संसार की रीति बड़ी उलटी है चलती हुई चीज़ को लोग गढ़ी हुई (गाढ़ी रुकी हुई ) कह रहे हैं। तथा दूध का जो सत्व (मालतत्व ,खोया /मावा है )उसे कह रहे हैं खोया हुआ (जिसे खो दिया गया हो ). जो पहले से ही रँगी हुई है उसे कह रहे हैं ना -रंगी (अर्थात रंगी हुई नहीं है ) बिना रंग की रंगहीन चीज़। भावार्थ क्या है कबीर का आशय क्या है यहां ? कबीर कहतें हैं संसार प्रतीयमान है। It is an empirical (pragmatic )reality ,a relative reality and not an absolute one .It is an appearance which is time dependent ,space dependent ,that which is in a flux and is constantly undergoing a change .The world is inside the mind .There is nothing outside of the mind .And the mind is an illuminator (a relative illuminator )with respect to the world but itself the mind is an illumined body w.r.t the world .Therefore the mind exists only with the blessings of the consciousness .If consciousness is not there the mind vanishes .Along with the mind the world also vanishes . So the world is an appearance (प्रतीति ). ऐसे आभासी संसार में संसारी लोग जो कुछ देख रहे हैं वह सब उलट पुलट है यथार्थ से दूर है। इस प्रतीयमान (आभासी )संसार में व्यक्ति की बुद्धि भ्रमित रहती है। इसीलिए संसारी जीव जो गढ़ गई उस गढ़ी हुई ,गाढ़ी जा चुकी चीज़ गाड़ी को चलती हुई कह रहे हैं। और रंगहीन चीज़ को रंगीन नारंगी। लोगों के अपने सापेक्षिक ज्ञान में जिसे वह यथार्थ ज्ञान समझ रहे हैं के वस्तुओं के प्रति सम्बोधन भ्रम पैदा करते हैं। इसीलिए पदार्थों के वाचक शब्द भरम पैदा करते हैं। यह वस्तुओं के वास्तविक गुणधर्म बतलाने वाले नहीं होते। पदार्थ कुछ और है और संसारी लोग कुछ और कह रहे हैं। माया का पर्दा इतना पड़ा है की ये लोग यथार्थ को जान ही नहीं पाते। यस्य सत्ता न अस्ति एवं गते तद् प्रतीयते अर्थात जिसकी सत्ता नहीं है पर वह प्रतीत हो वह माया है। माया :मा Ma means know ,या Ya means that ."that which is not there is Maya . In physics (optics ,the science of light )we call it Mirage where in a dear sees a pool of water in Hot desert due to the combined phenomina of refraction and total internal reflection of light . जयश्रीकृष्णा। Posted 9th November 2014 by virendra sharma 0 Add a comment

NOV 9 चलती को गाड़ी कहे ,खरे दूध का खोया , रंगी को नारंगी कहे ,देख कबीरा रोया यस्य सत्ता न अस्ति एवं गते तद् प्रतीयते अर्थात जिसकी सत्ता नहीं है पर वह प्रतीत हो वह माया है चलती को गाड़ी कहे ,मालतत्व को खोया , रँगी  को नारंगी कहे ,देख कबिरा रोया।  चलती को गाड़ी कहे ,खरे  दूध का खोया , रंगी को नारंगी कहे ,देख कबीरा रोया।  We say "being lost "to very essence of milk (milk product  Khoya,is obtained when milk is boiled for a long time on slow and  steady  heat ,and becomes milk extract Khoya, the semi solid remnant )extract and people say  colorless to a  colored fruit . Narangi (orange coloured citrous fruit) . कबीर कहते हैं इस संसार की रीति बड़ी उलटी है चलती हुई चीज़ को लोग  गढ़ी  हुई (गाढ़ी  रुकी हुई ) कह रहे हैं। तथा दूध का जो सत्व (मालतत्व ,खोया /मावा है )उसे कह रहे हैं  खोया हुआ (जिसे खो दिया गया हो ).  जो पहले से ही रँगी हुई है उसे कह रहे हैं ना -रंगी (अर्थात रंगी हुई नहीं है ) बिना  रंग की रंगहीन चीज़।  भावार्थ क्या है कबीर का आशय क्या है यहां ? कबी

कलम, आज उनकी जय बोल / रामधारी सिंह "दिनकर"

प्रधान मंत्री  ने गलवान  घाटी (लद्दाख लेह ) सम्बोधन में विकासवाद को आज  का दौर बतलाया ,उन्होंने कहा आज विस्तारवादी मुंह की खायेंगे । इतिहास गवाह है विस्तारवादी ताकतें या तो मिट गईं या उन्हें मुड़ना पड़ा है। पूरे विश्व ने आज विकास का मन बना लिया है। विस्तारवाद के दिन लद  गए।भूमंडलीय स्तर पर यह विकासवाद का युग है ,विकास -काल है। साहस का सम्बन्ध प्रतिबद्धता से है ,करुणा है साहस ! गलवान घाटी के परम  योद्धाओं देश को आप पर नाज़ है। मैं आपकी दिव्यता को नमन करता हूँ। माँ भारती के भाल के आप तिलक हैं । रक्षक हैं। देश के १३७ करोड़ लोग आपके साथ हैं ,पीछे नहीं रहेंगे। हम बांसुरी -धारी और सुदर्शन -चक्र धारी दोनों हैं। संत तिरुवल्लुवर का ज़िक्र भी आपने अपने ओजपूर्ण वक्तव्य में किया।राष्ट्रकवि  रामाधारी सिंह दिनकर को भी आपने उद्धरित  किया : जिनके सिंह नाद से सहमी , धरती रही अभी तक  डोल , कलम आज उनकी जय बोल ! (जय श्रीकृष्ण ,जय श्री राम ,जय हिन्द की सेना प्रणाम !) जला अस्थियाँ बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल कलम, आज उनकी जय बोल। जो अगणित