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The body has to reduce to its basic elements of which it was an aggregate ,Dr Vageshji remains in my speech enriched vocabulary ,in my hemoglobin and the pen which.he passed on to any akin to me. veerujan.blogspot
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दैहिक आकर्षण से ज्यादा खिंचाव व्यक्ति की वाणी और सम्भाषण में होता है ,वागीश जी के संसर्ग में उनके वाक् का यह आकर्षण मेरे दिलो -दिमाग में लगातार बढ़ता रहा। अभी और बढ़ता चरम को छूता इससे पहले वह चले गए। भले इसके संकेत मुझे पूर्व में मिल गए थे उनके घर में फिसल के गिरने के बाद ,जिसके फलस्वरूप उनकी पार्शियल हिप थिरेपी करनी पड़ी ,अनंतर नियति के वार यहीं न रुके दो छोटे ब्रेन अटेक से उनका मुकाबला हुआ। मुझे याद है ,मैंने जब इस मर्तबा गुरुमाता (श्री मति विजय मेहता )को जब उनके मेक्स अस्पताल प्रवास के दौरान फोन किया-उधर से आवाज़ आई ,कौन 'वीरू'-हाँ ,एक जंग तो मैं ने जीत ली ,कोरोना हार गया मुझे छू भी न सका। लेकिन प्रारब्ध पूरा होना था। होना था सो हुआ ,हम भी तैयार थे ,एक सारगर्भित सफर तय करने के बाद का काया बदल हुआ। उनका स्पंदन यहीं मेरे आसपास मुखरित है।
एक राष्ट्रीय स्पंदन एक आलमी बे -चैनी उनके अंदर लगातार ठांठे मारती रही। बात चाहे पुरूस्कार लौटाऊ लौटंक गैंग की हो ,या संसद में हुश - हुश कर कांग्रेसी सांसदों को हड़काने वाली मल्लिका की ,या फिर सार्वकालिक अबुध कुमार मतिमंद भारतीय राजनीति के राहु की हो।
आज के भू -राजनीतिक माहौल में जबकि ख़तरा अपने ही घर में पैठे जयचंदों अब्दालियों से है ,ऐसे तमाम तरीन खतरों के सामने वे तन के खड़े हो जाते थे। हौसले की कोई नाप माप जोख नहीं होती।
मेरा हर स्तर पर पल्लवन गत ४२ बरसों से उनके स्नेहिल स्पर्श की आंच से वाणी के अपनापे से होता आया है। दूसरों की खुशियों में नाचना उनसे सीखा। जो न नांचे सो अभागा जीवन की एक बड़ी ख़ुशी से महरूम रह जाता है ऐसा हतभाग्य।
उनके साहित्यिक अवदान का मूल्याकन इतिहास करता रहेगा। प्रणाम उनके सनातन अस्तित्व को उनकी दिव्यता को ,उस वेगवती धारा को जो उन्होंने कितनों के अंदर प्रवाहित की है।
प्रणाम उनकी तर्कणा शक्ति को जो तर्क और विज्ञान से आगे निकल कर दर्शन और अध्यात्म विज्ञान की बुलंदियों तक पहुँचती थी। उनके यहां उपनिषद ,आगम निगम ,महज़ धर्म ग्रंथ नहीं थे ,निचोड़ थमाया है उन्होंने अक्सर सबका। उनका बहु -आयामीय व्यक्तित्व स्प्रिचुअल साइकॉलजी के बुनियादी तत्वों से बना हुआ था। सेलेब्रिटीज़ सिर्फ काया बदलते हैं ,अंतरिक्ष -काल में उनका होना निरंतर बना रहता है। ॐ शान्ति !शान्ति !शांति !
शीर्षक :एक पुष्पांजलि श्री वागीश मेहता जी नन्द लाल
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