नज़्म :अभी तो मैं जवान हूं (हफ़ीज़ जालंधरी) गायक :मल्लिका पुखराज अभी तो मैं जवान हूं, अभी तो मैं जवान हूं । हवा भी ख़ुशगवार है, गुलों पे भी निखार है, तरन्नुमें हज़ार हैं, बहार पुर बहार है। कहाँ चला है साक़िया, इधर तो लौट, इधर तो आ, अरे ये देखता है क्या, उठा सुबू, सुबू उठा, (सुबू – सुराही) सुबू उठा, पयाला भर, पयाला भरके दे इधर, चमन की सिम्त कर नज़र, समाँ तो देख, बेख़बर। ( सिम्त – तरफ़) वो काली काली बदलियाँ, उफ़क़ पे हो गईं अयाँ, (उफ़क़ – क्षितिज, अयाँ – दिखीं ) वो इक हजूमे मैक़शाँ, है सू ए मैक़दां रवाँ, (हजूमे मैक़शाँ – शराबियों की भीड़,पियक्कड़ों का झुण्ड ) (सू ए मैक़दा – शराबख़ाने की दिशा) ये क्या गुमाँ है बेगुमाँ, समझ न मुझको नातवाँ, (गुमाँ – महसूस ,नातवाँ – कमज़ोर) ख़याले ज़ोहद अभी कहाँ, अभी तो मैं जवान हूं ॥ ( ज़ोहद – पुण्य, शराब छोड़ना) इबादतों का ज़िक्र