सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कलम, आज उनकी जय बोल / रामधारी सिंह "दिनकर"

प्रधान मंत्री  ने गलवान  घाटी (लद्दाख लेह ) सम्बोधन में विकासवाद को आज  का दौर बतलाया ,उन्होंने कहा आज विस्तारवादी मुंह की खायेंगे । इतिहास गवाह है विस्तारवादी ताकतें या तो मिट गईं या उन्हें मुड़ना पड़ा है। पूरे विश्व ने आज विकास का मन बना लिया है। विस्तारवाद के दिन लद  गए।भूमंडलीय स्तर पर यह विकासवाद का युग है ,विकास -काल है।

साहस का सम्बन्ध प्रतिबद्धता से है ,करुणा है साहस !
गलवान घाटी के परम  योद्धाओं देश को आप पर नाज़ है। मैं आपकी दिव्यता को नमन करता हूँ। माँ भारती के भाल के आप तिलक हैं । रक्षक हैं। देश के १३७ करोड़ लोग आपके साथ हैं ,पीछे नहीं रहेंगे।

हम बांसुरी -धारी और सुदर्शन -चक्र धारी दोनों हैं।

संत तिरुवल्लुवर का ज़िक्र भी आपने अपने ओजपूर्ण वक्तव्य में किया।राष्ट्रकवि  रामाधारी सिंह दिनकर को भी आपने उद्धरित  किया :

जिनके सिंह नाद से सहमी ,

धरती रही अभी तक  डोल ,

कलम आज उनकी जय बोल !

(जय श्रीकृष्ण ,जय श्री राम ,जय हिन्द की सेना प्रणाम !)

जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।

जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल।

पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल।

अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
"वीर भोग्या वसुंधरा" का क्या अर्थ है?प्रधानमन्त्री ने समझाया -
अर्थात केवल वीर और शक्तिशाली लोग ही इस धरती का उपभोग कर सकते हैं.

कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी। सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। सारे...

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा।
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसताँ हमारा।।

ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में।
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा।। सारे...

परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का।
वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा।। सारे...

गोदी में खेलती हैं, उसकी हज़ारों नदियाँ।
गुलशन है जिनके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा।। सारे....

ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको।
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।। सारे...

मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना।
हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। सारे...

यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से।
अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।। सारे...

कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी।
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। सारे...

'इक़बाल' कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में।
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा।। सारे...

                   -----------मुहम्मद इक्बाल साहब !
वीरता ही शान्ति की पहली शर्त है ,पूर्वज है वीरता शांति की।इशारों -इशारों में प्रधान-मंत्री ने ड्रेगन को चेता दिया है। हम छुपके नहीं घर में घुसके मारते हैं। लेकिन उससे पहले आर्थिक रीढ़ तोड़कर देखते हैं :
चीन के सामान की दीवार गिरा दो  ,
ड्रेगन को गजराज की याद दिला दो ,
सूंड में लपेट लपेट पटकेगा ,
दुनिया को तमाशा दिखा दो।  
संदर्भ -सामिग्री :प्रधानमन्त्री का लेह में भारत के शीर्ष  पराक्रम के प्रतीक सेना के जांबाज़ों को  सद्य सम्बोधन  :https://www.youtube.com/watch?v=7wJLgumz7CM

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

विद्या विनय सम्पन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनी | शुनि चैव श्वपाके च पंडिता : समदर्शिन :||

 विद्या विनय सम्पन्ने  ब्राह्मणे गवि हस्तिनी |  शुनि चैव  श्वपाके च पंडिता :  समदर्शिन :||  ज्ञानी महापुरुष विद्याविनययुक्त ब्राह्मण में और चांडाल तथा गाय , हाथी एवं कुत्ते में भी समरूप परमात्मा को देखने वाले होते हैं।  व्याख्या : बेसमझ लोगों द्वारा यह श्लोक प्राय :  सम व्यवहार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। परन्तु श्लोक में 'समवर्तिन  :' न कहकर 'समदर्शिन  :' कहा गया है जिसका अर्थ है -समदृष्टि न कि सम -व्यवहार। यदि स्थूल दृष्टि से भी देखें तो ब्राह्मण ,हाथी ,गाय और कुत्ते के प्रति समव्यवहार असंभव है। इनमें विषमता अनिवार्य है। जैसे पूजन तो विद्या -विनय युक्त ब्राह्मण का ही हो सकता है ,न कि चाण्डाल का ; दूध गाय का ही पीया जाता है न कि कुतिया का ,सवारी हाथी पर ही की  जा सकती है न कि कुत्ते पर।  जैसे शरीर के प्रत्येक अंग के व्यव्हार में विषमता अनिवार्य है ,पर सुख दुःख में समता होती है,अर्थात शरीर के किसी भी अंग का सुख  हमारा सुख होता है और दुःख हमारा दुःख। हमें किसी भी अंग की पीड़ा सह्य नहीं होती। ऐसे ही प्राणियों से विषम (यथायोग्य) व्यवहार करते हुए  भी उनके सुख

तोको पीव मिलैंगे घूँघट के पट खोल रे

यहां भी पधारें : Videos 2:41 Ghoonghat Ke Pat Khol Re Tohe - Jogan 1950 - Geeta Dutt YouTube  ·  Suhanee Lall 2 minutes, 41 seconds 14-Jul-2012 (१ ) Videos 28:34 कबीर : घूँघट के पट खोल YouTube  ·  CEC 28 minutes, 34 seconds 24-Aug-2020 (१ )https://www.youtube.com/watch?v=ar5lHsWN3Fg तुमको  प्रीतम  मिलेंगे,  अपने  घूँघट  के  पट  खोल  दे।  हर  शरीर  में  वही  एक  मालिक  आबाद  है।  किसी  के  लिए  कड़वा  बोल  क्यों  बोलता  है।  धन  और  यौवन  पर  अभिमान  मत  कर  क्योंकि  यह  पाँच  रंग  का  चोला  झूठा  है।  शून्य  के  महल  में  चिराग़  जला  और  उम्मीद  का  दामन  हाथ  से  मत  छोड़।  अपने  योग  के  जतन  से  तुझे  रंगमहल  में  अनमोल  प्रीतम  मिलेगा।  कबीर  कहते  हैं  कि  अनहद  का  साज़  बज  रहा  है  और  चारों  ओर  आनंद  ही  आनंद  है। तोको पीव मिलैंगे घूँघट के पट खोल रे। घट घट में वही साँई रमता, कटुक बचन मत बोल रे। धन जोबन को गरब न कीजै, झूठा पँचरंग चोल रे। सुन्न महल में दियरा बार ले, आसा सों मत डोल रे। जोग जुगत से रंग-महल में, पिय पाई अनमोल रे। कहैं कबीर आनंद भयो है, बाजत अनहद ढोल

FDA strengthens warning on opioid cold medicine(HINDI )

JAN 12 FDA strengthens warning on opioid cold medicine(HINDI ) यह आकस्मिक नहीं है गत एक पखवाड़े में अमरीकी खाद्य एवं दवा संस्था एफडीए ने आग्रहपूर्वक इस चेतावनी को दोहराया है ,बलपूर्वक सिफारिश भी की है के आइंदा केवल अठारह साल से ऊपर आयुवर्ग को ही सर्दीजुकाम फ्ल्यू में दी जाने वाली उन दवाओं को दिया जाए नुश्खे में लिखा जाए जो ओपिऑइड्स युक्त हैं। कुछ दवाओं के नाम भी गिनाये हैं जिनमें कोडीन ,हाइड्रोकोडॉन ,ट्रामाडोल आदि शामिल हैं।  किसी भी आयुवर्ग के बालकों के लिए इन दवाओं के इस्तेमाल से  नुकसानी  फायदे से बहुत ज्यादा उठानी पड़  सकती है।लत पड़ जाती है इन दवाओं की  और बच्चे जल्दी ही इन दवाओं के अभ्यस्त हो सकते हैं दुरूपयोग  हो सकता है इन दवाओं का ओवर डोज़ भी ली जा सकती है जिससे अमरीका भर में बेशुमार मौतें आदिनांक हो चुकीं हैं यहां तक के अंगदान बे -हिसाब हुआ है। ऑर्गन डोनर्स जैसे बारिश में गिरे हों। क्योंकि ये शव हैं उन देने वालों के  जो   कथित वैध -ओपिऑइड्स दवाओं की ओवरडोज़ के ग्रास बने। दरअसल ओपिऑइड्स (मार्फीन जैसे पदार्थ )हमारे दिमाग के उन हिस्सों से रासायनिक तौर पर जल्दी  बंध ज