प्रधान मंत्री ने गलवान घाटी (लद्दाख लेह ) सम्बोधन में विकासवाद को आज का दौर बतलाया ,उन्होंने कहा आज विस्तारवादी मुंह की खायेंगे । इतिहास गवाह है विस्तारवादी ताकतें या तो मिट गईं या उन्हें मुड़ना पड़ा है। पूरे विश्व ने आज विकास का मन बना लिया है। विस्तारवाद के दिन लद गए।भूमंडलीय स्तर पर यह विकासवाद का युग है ,विकास -काल है।
साहस का सम्बन्ध प्रतिबद्धता से है ,करुणा है साहस !
गलवान घाटी के परम योद्धाओं देश को आप पर नाज़ है। मैं आपकी दिव्यता को नमन करता हूँ। माँ भारती के भाल के आप तिलक हैं । रक्षक हैं। देश के १३७ करोड़ लोग आपके साथ हैं ,पीछे नहीं रहेंगे।
हम बांसुरी -धारी और सुदर्शन -चक्र धारी दोनों हैं।
संत तिरुवल्लुवर का ज़िक्र भी आपने अपने ओजपूर्ण वक्तव्य में किया।राष्ट्रकवि रामाधारी सिंह दिनकर को भी आपने उद्धरित किया :
जिनके सिंह नाद से सहमी ,
धरती रही अभी तक डोल ,
कलम आज उनकी जय बोल !
(जय श्रीकृष्ण ,जय श्री राम ,जय हिन्द की सेना प्रणाम !)
साहस का सम्बन्ध प्रतिबद्धता से है ,करुणा है साहस !
गलवान घाटी के परम योद्धाओं देश को आप पर नाज़ है। मैं आपकी दिव्यता को नमन करता हूँ। माँ भारती के भाल के आप तिलक हैं । रक्षक हैं। देश के १३७ करोड़ लोग आपके साथ हैं ,पीछे नहीं रहेंगे।
हम बांसुरी -धारी और सुदर्शन -चक्र धारी दोनों हैं।
संत तिरुवल्लुवर का ज़िक्र भी आपने अपने ओजपूर्ण वक्तव्य में किया।राष्ट्रकवि रामाधारी सिंह दिनकर को भी आपने उद्धरित किया :
जिनके सिंह नाद से सहमी ,
धरती रही अभी तक डोल ,
कलम आज उनकी जय बोल !
(जय श्रीकृष्ण ,जय श्री राम ,जय हिन्द की सेना प्रणाम !)
जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
"वीर भोग्या वसुंधरा" का क्या अर्थ है?प्रधानमन्त्री ने समझाया -
अर्थात केवल वीर और शक्तिशाली लोग ही इस धरती का उपभोग कर सकते हैं.
कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी। सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। सारे...
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा।
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसताँ हमारा।।
ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में।
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा।। सारे...
परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का।
वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा।। सारे...
गोदी में खेलती हैं, उसकी हज़ारों नदियाँ।
गुलशन है जिनके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा।। सारे....
ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको।
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।। सारे...
मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना।
हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। सारे...
यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से।
अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।। सारे...
कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी।
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। सारे...
'इक़बाल' कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में।
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा।। सारे...
ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में।
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा।। सारे...
परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का।
वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा।। सारे...
गोदी में खेलती हैं, उसकी हज़ारों नदियाँ।
गुलशन है जिनके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा।। सारे....
ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको।
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।। सारे...
मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना।
हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। सारे...
यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से।
अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।। सारे...
कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी।
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। सारे...
'इक़बाल' कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में।
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा।। सारे...
-----------मुहम्मद इक्बाल साहब !
वीरता ही शान्ति की पहली शर्त है ,पूर्वज है वीरता शांति की।इशारों -इशारों में प्रधान-मंत्री ने ड्रेगन को चेता दिया है। हम छुपके नहीं घर में घुसके मारते हैं। लेकिन उससे पहले आर्थिक रीढ़ तोड़कर देखते हैं :
चीन के सामान की दीवार गिरा दो ,
ड्रेगन को गजराज की याद दिला दो ,
सूंड में लपेट लपेट पटकेगा ,
दुनिया को तमाशा दिखा दो।
संदर्भ -सामिग्री :प्रधानमन्त्री का लेह में भारत के शीर्ष पराक्रम के प्रतीक सेना के जांबाज़ों को सद्य सम्बोधन :https://www.youtube.com/watch?v=7wJLgumz7CM
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