कविता डॉ. वागीश मेहता नन्द लाल :
दिन बीता फिर आई रात ,रिमझिम सी बौराई रात
(१ )
आँखें अपनी सपने उनके ,
ऐसी हुई पराई रात।
सावन बदरा और घटाएं ,
उसकी है परछाईं रात।
(२ )
बरखा की छप -छप बौछारें ,
जिनमें खूब नहाई रात।
चाँद का मुखड़ा लगे सलोना ,
यौवन में गदराई रात।
(३ )
मिलकर उससे करें ठहोका ,
लेती फिर अंगड़ाई रात।
होंठों पर अशआरे मुहब्बत ,
फिर से है शरमाई रात।
(४ )
चाँद सितारे फ़रियादी हैं ,
करती है सुनवाई रात।
जाने कितने ख़्वाब मिटाकर ,
हौले से मुस्काई रात।
(५ )
यादों की जलती तीली ने ,
धीरे से सुलगाई रात।
सुलग गई जब रात सुहानी ,
काटे न कट पाई रात।
(६ )
बीती नहीं बिताई जाए ,
अब तो ये हरजाई रात।
दिन बीता फिर आई रात ,
रिमझिम सी बौराई रात।
१२१८ ,शब्दालोक ,अर्बन इस्टेट ,गुरुग्राम -१२२ -००१
दूरभाष भारत :१२४४० ७७ २१८ (From USA 01191 -12449 77 218 )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
कैन्टन (मिशिगन )USA
veerujialami.blogspot.com
क्षेपक :वीरुभाई
कौन करे इज़हारे मुहब्बत ,
खुद से है शरमाई रात।
सावन बरखा प्यार के किस्से ,
किस्से यूं बतियाए रात।
दिन बीता फिर आई रात ,रिमझिम सी बौराई रात
(१ )
आँखें अपनी सपने उनके ,
ऐसी हुई पराई रात।
सावन बदरा और घटाएं ,
उसकी है परछाईं रात।
(२ )
बरखा की छप -छप बौछारें ,
जिनमें खूब नहाई रात।
चाँद का मुखड़ा लगे सलोना ,
यौवन में गदराई रात।
(३ )
मिलकर उससे करें ठहोका ,
लेती फिर अंगड़ाई रात।
होंठों पर अशआरे मुहब्बत ,
फिर से है शरमाई रात।
(४ )
चाँद सितारे फ़रियादी हैं ,
करती है सुनवाई रात।
जाने कितने ख़्वाब मिटाकर ,
हौले से मुस्काई रात।
(५ )
यादों की जलती तीली ने ,
धीरे से सुलगाई रात।
सुलग गई जब रात सुहानी ,
काटे न कट पाई रात।
(६ )
बीती नहीं बिताई जाए ,
अब तो ये हरजाई रात।
दिन बीता फिर आई रात ,
रिमझिम सी बौराई रात।
१२१८ ,शब्दालोक ,अर्बन इस्टेट ,गुरुग्राम -१२२ -००१
दूरभाष भारत :१२४४० ७७ २१८ (From USA 01191 -12449 77 218 )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
कैन्टन (मिशिगन )USA
veerujialami.blogspot.com
क्षेपक :वीरुभाई
कौन करे इज़हारे मुहब्बत ,
खुद से है शरमाई रात।
सावन बरखा प्यार के किस्से ,
किस्से यूं बतियाए रात।
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