दुर्लभ संयोग है ये एक ही परिवार की तीन पीढ़ियां प्यार से बैठी हों परस्पर बतियाती कुछ सुनती हुई औरों की कुछ अपनी कहती सुनाती हुई
Virendra Kumar Sharma < veerubhai1947@gmail.com > 10:27 AM (21 minutes ago) to nee.gautam , radioaravali दुर्लभ संयोग है ये एक ही परिवार की तीन पीढ़ियां प्यार से बैठी हों परस्पर बतियाती कुछ सुनती हुई औरों की कुछ अपनी कहती सुनाती हुई। ये मुमकिन है अक्सर हरियाणा के इस सीमान्त अंचल में जिसे नारनौल कहा जाता है। यह सम्भव है गए ज़माने के महेशियो (आज के महेश जी गौतम )के घर। यहां छोटी बहु "तन्वी" प्यार से बड़ी बहुड़िया को दीदी कहती है। शिव रूप प्र-पौत्र सत्यम दादा (बाबा जी )को कहता है "टकला "बेहद प्यार के ऐसे मीठे बोल अब सुनाई ही कहाँ देते हैं। यहां सासु- माँ "शांति जी" मौन का मूर्त रूप हैं। सत्यम अभिनय का सूत्रधार। प्राची मासूमियत का डेरा सच्चा सौदा दन्तावली में एक स्थान खाली है जो मुखमंडल की अप्रतिम शोभा है। महेशजी का वही मुखर स्वर और मुखमंडल है जो गए ज़माने में अब से ४५ बरस पूर्व था अलबत्ता आवाज़ का घनत्व बढ़ गया है स्वर की मिठास भी। संवाद की शालीनता और शिष्टता भी। कल का महेशियो बिंदास था कहीं बिठालो कहीं गवा लो -बेशक मस्जिद मंदिर .......