सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

स हो वाच हिरण्यगर्भ : | हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ,हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। ( कलिसंतरणोपनिषद मंत्र ५ )

स हो वाच हिरण्यगर्भ : | हरे राम हरे राम 

राम राम हरे हरे ,हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। ( कलिसंतरणोपनिषद मंत्र ५ )

ब्रह्मा जी ने उत्तर दिया -

"हरे राम हरे राम ,राम राम हरे हरे ,

हरे कृष्ण हरे कृष्ण ,कृष्ण कृष्ण हरे हरे। "

इस प्रकार अब हम जान गए वह परमावश्यक गुह्य ,मन की तिजोरी में संजोने योग्य वह (महा )मंत्र जो ब्रह्मा जी ने नारद जी को बतलाया था। 

नारद अपने पूर्व  जन्म में एक दासी पुत्र थे। आपने कई साधु संत महापुरुषों की बड़ी सेवा की थी और उनका उच्छिष्ठ (जूठन )प्रसाद समझकर ग्रहण किया था।  जो इनकी माँ के पास आकर रुकते थे।  यही उनका भोजन प्रसाद था। इसी के बाद वाले जन्म में वह ब्रह्माजी के मानस पुत्र बने। कृष्ण के सबसे बड़े भक्त (परमभक्त )बने।

"उलटा नाम जपाजप जाना वाल्मीकि भये सिद्ध समाना "

नारद के अंदर इतना पावित्र्य था उनका दिया मन्त्र 'राम राम 'जपने से शिकारी और लूटपाट करने वाला डाकू कालांतर में  संत वाल्मीकि बन गया जिसने आदिकाव्य रामायण की रचना की।किंवदंती है मन्त्र भी इस शिकारी ने उलटा

" मरा मरा" बोला दोहराया था  जो "राम राम" में रूपांतरित हो गया। 

अब वही नारद अपने गुरु से वह मन्त्र सीख रहे हैं। 

जो  मन का  त्राण कर दे वही मंत्र होता है।जो अंत : करण की शुद्धि कर दे वही मंत्र होता है। कलिमल को यह महामंत्र ही धौ सकता है। 

क्योंकि नारद सभी भक्तों में शिरोमणि पवित्र हैं इसलिए आज भी वह इस  महामंत्र का जप कर रहे हैं अपने गुरु की आज्ञा मान। 

अब से ५०० बरस पहले भगवान् चैतन्य  का अवतरण हुआ  . यह कृष्ण का ही भक्त रूप अवतार था। ताकि कृष्ण अपने भक्तों को बतला सकें उनका स्मरण कैसे करना है। यह उनकी अहेतुकी कृपा थी। भगवान् चैतन्य ने इस मन्त्र को और भी प्राणवान ,और भी अध्यात्म शक्ति से संसिक्त संपन्न   बना दिया इसका जप इस रूप में करके -

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ,

हरे राम हरे राम ,राम राम हरे हरे।

जब परमात्मा को खाद्य अर्पित किया जाता है वह उसका भोग करे यह आवश्यक नहीं है -वह इसे प्रसाद स्वरूप लौटा देते हैं। प्रसाद में प्रभु की वासना (भासना )आ जाती है। फिर , भगवान् को अर्पित भोजन प्रसाद बन जाता है। 

जब नामाचार्य हरिदास ठाकुर ने मन्त्र को मूलरूप "हरे राम हरे राम ,राम राम हरे हरे ,हरे कृष्ण हरे कृष्ण ,कृष्ण कृष्ण हरे हरे "में उच्चारित किया भोग अर्पण के साथ तब चैतन्य ने उसे 'हरे कृष्ण हरे कृष्ण ,कृष्ण कृष्ण हरे हरे ,हरे राम हरे राम ,राम राम हरे हरे 'उच्चारित कर लौटा दिया और यह मन्त्र अध्यात्म की दौलत बन गया।  



भगवान् चैतन्य की शिक्षाओं के अनुसार इस महामंत्र का जाप करने के बाद कलियुग में फिर और कोई कर्मकांड ,उपासना आदि  की दरकार ,ज़रूरत नहीं रह जाती है। उन्होंने ही इस मन्त्र को अपनी वाणी से संसिक्त कर महामंत्र बनाया है। 
अतिसूक्ष्म गुह्य है इसका रहस्य जिसे भक्त बूझ लेते हैं। 

भगवान चैतन्य ने कहा -वैकुण्ठ  में जाने का यही साधन है। 

"पुनरपि जन्मम पुनरपि मरणम 

पुनरपि जननी जठरे शयनम। "

से छुटकारा दिलवाने का यही एक मात्र उपाय है। 

यहां कलियुग में हम माया की कृपा के वशीभूत रहते हैं ,वही बार बार जन्म ,मृत्यु ज़रा ,वृद्धावस्था ,हारी -बीमारी। आधि -भौतिक  ,आदि--दैविक और आध्यात्मिक  ताप सहो सहते रहो का कारण बनती है । यही माया कृष्ण की मटेरियल एनर्जी है बाहरी ऊर्जा है दासी है कृष्ण की। इसी से वह सारा प्रपंच रचता है। यही हमें विमोहित किये रहती है। इसी का कुनबा है वह जिसे हम अपना समझते हैं। जो नहीं है यह उसकी प्रतीति करवाती है -यही तो माया है। 


नित्य प्रति दिन में १६ बार इस महामंत्र का  जप करके मांस -मच्छी ,अंडा ,शराब (मद्यपान )जूआ और विकृत समाज द्वारा अस्वीकृत यौनसंबंधों से परहेज करके हम उस मार्ग पर चल सकते हैं जो भगवान् की ओर जाता है ,उसकी कृपा से वैकुण्ठ भी मिल जाता है कितनों को। जिनका अन्तस् पावित्र्य से भरा हुआ है वह वैकुण्ठ में वास भी पा जाते हैं भक्त गंगा गौ - लोक वृन्दावन ,वैकुण्ठ में भी। भक्ति में बड़ा सामर्थ्य है। 

कृपया यह विशेष लिंक (सेतु )का भी आनंद लेवें :

(१ )https://www.youtube.com/watch?v=8vD6uQpt3Xs


Brahmin Narad Devarshi & Ratnakar (VALMIKI)




  

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

विद्या विनय सम्पन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनी | शुनि चैव श्वपाके च पंडिता : समदर्शिन :||

 विद्या विनय सम्पन्ने  ब्राह्मणे गवि हस्तिनी |  शुनि चैव  श्वपाके च पंडिता :  समदर्शिन :||  ज्ञानी महापुरुष विद्याविनययुक्त ब्राह्मण में और चांडाल तथा गाय , हाथी एवं कुत्ते में भी समरूप परमात्मा को देखने वाले होते हैं।  व्याख्या : बेसमझ लोगों द्वारा यह श्लोक प्राय :  सम व्यवहार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। परन्तु श्लोक में 'समवर्तिन  :' न कहकर 'समदर्शिन  :' कहा गया है जिसका अर्थ है -समदृष्टि न कि सम -व्यवहार। यदि स्थूल दृष्टि से भी देखें तो ब्राह्मण ,हाथी ,गाय और कुत्ते के प्रति समव्यवहार असंभव है। इनमें विषमता अनिवार्य है। जैसे पूजन तो विद्या -विनय युक्त ब्राह्मण का ही हो सकता है ,न कि चाण्डाल का ; दूध गाय का ही पीया जाता है न कि कुतिया का ,सवारी हाथी पर ही की  जा सकती है न कि कुत्ते पर।  जैसे शरीर के प्रत्येक अंग के व्यव्हार में विषमता अनिवार्य है ,पर सुख दुःख में समता होती है,अर्थात शरीर के किसी भी अंग का सुख  हमारा सुख होता है और दुःख हमारा दुःख। हमें किसी भी अंग की पीड़ा सह्य नहीं होती। ऐसे...

तोको पीव मिलैंगे घूँघट के पट खोल रे

यहां भी पधारें : Videos 2:41 Ghoonghat Ke Pat Khol Re Tohe - Jogan 1950 - Geeta Dutt YouTube  ·  Suhanee Lall 2 minutes, 41 seconds 14-Jul-2012 (१ ) Videos 28:34 कबीर : घूँघट के पट खोल YouTube  ·  CEC 28 minutes, 34 seconds 24-Aug-2020 (१ )https://www.youtube.com/watch?v=ar5lHsWN3Fg तुमको  प्रीतम  मिलेंगे,  अपने  घूँघट  के  पट  खोल  दे।  हर  शरीर  में  वही  एक  मालिक  आबाद  है।  किसी  के  लिए  कड़वा  बोल  क्यों  बोलता  है।  धन  और  यौवन  पर  अभिमान  मत  कर  क्योंकि  यह  पाँच  रंग  का  चोला  झूठा  है।  शून्य  के  महल  में  चिराग़  जला  और  उम्मीद  का  दामन  हाथ  से  मत  छोड़।  अपने  योग  के  जतन  से  तुझे  रंगमहल  में  अनमोल  प्रीतम  मिलेगा।  कबीर...

FDA strengthens warning on opioid cold medicine(HINDI )

JAN 12 FDA strengthens warning on opioid cold medicine(HINDI ) यह आकस्मिक नहीं है गत एक पखवाड़े में अमरीकी खाद्य एवं दवा संस्था एफडीए ने आग्रहपूर्वक इस चेतावनी को दोहराया है ,बलपूर्वक सिफारिश भी की है के आइंदा केवल अठारह साल से ऊपर आयुवर्ग को ही सर्दीजुकाम फ्ल्यू में दी जाने वाली उन दवाओं को दिया जाए नुश्खे में लिखा जाए जो ओपिऑइड्स युक्त हैं। कुछ दवाओं के नाम भी गिनाये हैं जिनमें कोडीन ,हाइड्रोकोडॉन ,ट्रामाडोल आदि शामिल हैं।  किसी भी आयुवर्ग के बालकों के लिए इन दवाओं के इस्तेमाल से  नुकसानी  फायदे से बहुत ज्यादा उठानी पड़  सकती है।लत पड़ जाती है इन दवाओं की  और बच्चे जल्दी ही इन दवाओं के अभ्यस्त हो सकते हैं दुरूपयोग  हो सकता है इन दवाओं का ओवर डोज़ भी ली जा सकती है जिससे अमरीका भर में बेशुमार मौतें आदिनांक हो चुकीं हैं यहां तक के अंगदान बे -हिसाब हुआ है। ऑर्गन डोनर्स जैसे बारिश में गिरे हों। क्योंकि ये शव हैं उन देने वालों के  जो   कथित वैध -ओपिऑइड्स दवाओं की ओवरडोज़ के ग्रास बने। दरअसल ओपिऑइड्स (मार्फीन जैसे पदार्थ )हमा...