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कॉल कौन दत्तात्रेय कौन

कॉल कौन दत्तात्रेय कौन 

राजनीति की विडंबना देखिये कल तक जो हिंदुत्व और उसके प्रतीकों का मज़ाक उड़ाते थे ,तीर्थस्थलों की हेटी करते थे ,मंदिरों को लौंडिया- छेड़ अड्डा बतलाते थे आज लिबास बदलने को मज़बूर हैं।
इनमें राजा भोज कौन है जिसने राजा दिग्गी को गंगू तेली बना दिया ,राहुल दत्तात्रेय कौन है ,श्राद्ध का कौवा कौन है और सेंट्रम येचुरी कौन है ये आप पहचानिये। 
हिंदुत्व का डंका और शंखनाद कुछ इस तरह से हवाओं में गूँज रहा है कि हर कोई अपने को हिंदू कहने बतलाने को मचल उठा है। एक लोक उक्ति ज़बान पर चली आई है जो इस स्थिति का खुलासा करने के योग्य है :

जब ... लगी फटने ,नियाज़ लगी  बँटने  
पुनश्चय :

ये हैं दोस्तों !बहरूपिये !भले आप इन्हें 'वेषधारी भगत' कह लें। काम सभी का एक ही है। हिन्दुस्तान को कैसे तोड़ा जाए। सनातन परम्पराओं को कैसे पलीता लगाया जाए। इनमें कई बौद्धिक भकुए हैं मार्क्सवाद के बौद्धिक गुलाम हैं आजकल इन्हें जेहादियों से पैसा मिल रहा है , शर्त एक ही है राष्ट्रवादी सांस्कृतिक भारत से ताल्लुक रखने वाली हर संस्था से घृणा की जाए। फिर चाहे पेड़ पे सोना पड़े या कैलाश की छद्म यात्रा करनी पड़े। इनमें एक है स्याह काला काग उर्फ़ कमल घात , पहचान 
गए होंगे आप। एक इनमें महाराजा साहब हैं जिन्होनें दिग्गी राजा को गंगू तेली बनाके छोड़ दिया है। एक जीन सम्पादित शहज़ादा है जिसका घोंघा आई क्यू ही उसका आधार कार्ड है। इन्हें अबुध कुमार के नाम से भी जाना गया है,दाता -रे ,डेटा -रे(दत्तात्रेय )भी ये खुद को कहलवा रहें हैं।   मतिमंद युवराज ,मूढ़ -धन्य ,शहज़ादा आदिक अनेक नाम हैं इनके। ये सत्यवादी हरिश्चंद्र  हैं। स्वामी असत्यानन्द जी केजरी -बवाल को आपने सत्य वचन कहने में बहुत पीछे छोड़ दिया है। इनका गोत्र अब तक कितनी ंबार बदल चुका है आगे कितनी बार और बदलेगा कोई नहीं जानता।अजमेर शरीफ तक इनका गोत्र कुछ और था थोड़ा और आगे ब्रह्मा जी के मंदिर तक आते आते इनका गोत्र बदल गया। मंदिर के पुजारी कॉल ने जब इनसे इनका गोत्र पूछा ये बोले हम भी कॉल हैं ,पीछे से किसी ने फुसफुसाया गोत्र पूछ रहे हैं पंडित जी ये बोले 'डटा -रे ' .पंडित जी बोले अच्छा अच्छा दत्तात्रेय। अब तो लोगों ने इन्हें वर्ण -संकर भी कहना बंद कर दिया है ये वर्ण -संकरों के भी मास्टर वर्ण -संकर हैं। आप चाहे तो इन्हें आचार्य वर्ण -संकर भगवान् दत्तात्रेय कह सकते हैं जिनके चोबीस गुरु थे। इनके कितने हैं ये खुद भी नहीं जानते।आजकल इन्हें भारतीय राजनीति का 'राहु ' कहा जाता है कल किसे मालूम है।ये पिचत्तिस शहज़ादा यदि वास्तव में दत्तात्रेय है तो इनकी अम्मा को तो पता होगा कहलवा के दिखला दो सोनिया से दत्तात्रेय हम मान लेंगे ये वास्तव में सत्यवादी हरसिंहचंद्र ही हैं।  
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