मान्यवर एवं सुप्रिय मनोहर लाल जी खट्टर ,
जयश्रीकृष्णा !महज़ एक इत्तेफाक है आपकी जन्मतिथि पांच मई आरम्भिक कालिज की पढ़ाई नेकीराम शर्मा महाविद्यालय रोहतक में संपन्न हुई। आप एक कामगार श्रमिक वर्ग से निकलकर बारास्ता सांस्कृतिकक एवं समाज सेवी संगठन जो आज़ादी से पहले भी सारी तकलीफें उठाकर पृष्ठ्भूमि में रहते हुए भी लोगों को ऊर्जित करता रहा ,आपातकाल के दौरान भी जिसने कभी शिवसेना की तरह इंदिराजी का समर्थन नहीं किया उस राष्ट्रीय स्वयं सेवक की अगुआई में राजनीति में आगे आये हैं।
मेरी जन्मतिथि पाँच मई ,उन्नीस सौ सैतालिस ,दादा जी रिटायर्ड हेडमास्टर एवं जगन फार्मेसी गुलावठी के संस्थापक जन्मदाता पंडित जगन्नाथप्रसाद मालिक होते हुए भीबसों में चढ़के दवाएं बेचते थे जिस दिन उन्होंने शरीर छोड़ा उस रोज़ भी चवन्नी कमाई।
मैं ने श्री नेकीराम शर्मा महाविद्यालय में बतौर अस्थाई व्याख्याता ,भौतिकी के पद से बरस १९६८ से आरम्भ करके बारास्ता चौधरी धीरपाल सिंह स्नातोत्तर कालिज (बतौर प्राचार्य) पद से सेवा निवृत्ति संपन्न की। अपने अध्यापन के ३८ बरस मैं ने अध्यापन करते हुए भौतिक विज्ञानों के ( विज्ञान)लोकप्रियकरण को भी दिए। आकाशवाणी दिल्ली एवं रोहतक केंद्रों से तकरीबन सौ वार्ताएं हिंदी में प्रसारित की जिनमें भेंटवार्ताओं का संचालन भी शरीक रहा। साढ़े उन्नीस बरस का था (अगस्त -सितम्बर उन्नीस सौ अड़सठ )नेशनल कालिज सिरसा में अध्यापन शुरू करके वैश्य कालिज रोहतक में दो महीने बाद ही जाइन कर लिया कुल जमा २६७ रूपये।
१९६८ में पहला वेतन आयोग लागू होते मॉसरिट्रेंचमेंट में मैं भी आ गया (७०० -१६०० )ग्रेड तब बहुत बड़ा वित्तीय बोझ समझा गया।
यहीं से सरकारी सेवा में आने की मुहीम शुरू हुई जो मार्च १६ ,१९७० को परवान चढ़ी।
अब सातवां वेतन आयोग आ चुका है मैं आदिनांक उससे वंचित हूँ।
एतदर्थ आपको लगातार दूसरी मर्तबा मुख्य वज़ीरे आज़म का पद संभालने पर बधाई देते हुए आगे बढ़ता हूँ। आपका कद काठी सहज सरल स्वभाव भारत के राष्ट्रपति बनने जैसा है। ऐसा होना भविष्य की बात जोहते हुए मैं साफ़ देख पा रहा हूँ।
अपना चाय वाला आलमी आदमी बन गया सब्ज़ी की फेरी वाला भी 'ग्लोबलआदमी 'बनेगा -यकीन मानिये। मैं हृदय से आपका चहेता और संत और प्रधान सेवक मोदी जी का आशिक हूँ। आप दोनों की क्रोनोलॉजिकल एवं जैविक आयु मुझसे ७-८ साल कम है इसलिए आपको नाम से सम्बोधित करने की छूट ली है।
साफ़ सुथरा प्रशासन आपने निश्चय ही हरयाणा को मुहैया करवाया है और अब देवी लाल जी का प्र-पौत्र आपकी प्रतिष्ठा प्राप्त हरयाणा सरकार को एक मजबूत टेका दिए खड़ा है।
यह हरियाणा की इस कुरु -भूमि को उर्वरा बनाये रखने और राजनीति के कुरुक्षेत्र में कौरवों का सफाया करता रहेगा का
जयश्रीकृष्णा !महज़ एक इत्तेफाक है आपकी जन्मतिथि पांच मई आरम्भिक कालिज की पढ़ाई नेकीराम शर्मा महाविद्यालय रोहतक में संपन्न हुई। आप एक कामगार श्रमिक वर्ग से निकलकर बारास्ता सांस्कृतिकक एवं समाज सेवी संगठन जो आज़ादी से पहले भी सारी तकलीफें उठाकर पृष्ठ्भूमि में रहते हुए भी लोगों को ऊर्जित करता रहा ,आपातकाल के दौरान भी जिसने कभी शिवसेना की तरह इंदिराजी का समर्थन नहीं किया उस राष्ट्रीय स्वयं सेवक की अगुआई में राजनीति में आगे आये हैं।
मेरी जन्मतिथि पाँच मई ,उन्नीस सौ सैतालिस ,दादा जी रिटायर्ड हेडमास्टर एवं जगन फार्मेसी गुलावठी के संस्थापक जन्मदाता पंडित जगन्नाथप्रसाद मालिक होते हुए भीबसों में चढ़के दवाएं बेचते थे जिस दिन उन्होंने शरीर छोड़ा उस रोज़ भी चवन्नी कमाई।
मैं ने श्री नेकीराम शर्मा महाविद्यालय में बतौर अस्थाई व्याख्याता ,भौतिकी के पद से बरस १९६८ से आरम्भ करके बारास्ता चौधरी धीरपाल सिंह स्नातोत्तर कालिज (बतौर प्राचार्य) पद से सेवा निवृत्ति संपन्न की। अपने अध्यापन के ३८ बरस मैं ने अध्यापन करते हुए भौतिक विज्ञानों के ( विज्ञान)लोकप्रियकरण को भी दिए। आकाशवाणी दिल्ली एवं रोहतक केंद्रों से तकरीबन सौ वार्ताएं हिंदी में प्रसारित की जिनमें भेंटवार्ताओं का संचालन भी शरीक रहा। साढ़े उन्नीस बरस का था (अगस्त -सितम्बर उन्नीस सौ अड़सठ )नेशनल कालिज सिरसा में अध्यापन शुरू करके वैश्य कालिज रोहतक में दो महीने बाद ही जाइन कर लिया कुल जमा २६७ रूपये।
१९६८ में पहला वेतन आयोग लागू होते मॉसरिट्रेंचमेंट में मैं भी आ गया (७०० -१६०० )ग्रेड तब बहुत बड़ा वित्तीय बोझ समझा गया।
यहीं से सरकारी सेवा में आने की मुहीम शुरू हुई जो मार्च १६ ,१९७० को परवान चढ़ी।
अब सातवां वेतन आयोग आ चुका है मैं आदिनांक उससे वंचित हूँ।
एतदर्थ आपको लगातार दूसरी मर्तबा मुख्य वज़ीरे आज़म का पद संभालने पर बधाई देते हुए आगे बढ़ता हूँ। आपका कद काठी सहज सरल स्वभाव भारत के राष्ट्रपति बनने जैसा है। ऐसा होना भविष्य की बात जोहते हुए मैं साफ़ देख पा रहा हूँ।
अपना चाय वाला आलमी आदमी बन गया सब्ज़ी की फेरी वाला भी 'ग्लोबलआदमी 'बनेगा -यकीन मानिये। मैं हृदय से आपका चहेता और संत और प्रधान सेवक मोदी जी का आशिक हूँ। आप दोनों की क्रोनोलॉजिकल एवं जैविक आयु मुझसे ७-८ साल कम है इसलिए आपको नाम से सम्बोधित करने की छूट ली है।
साफ़ सुथरा प्रशासन आपने निश्चय ही हरयाणा को मुहैया करवाया है और अब देवी लाल जी का प्र-पौत्र आपकी प्रतिष्ठा प्राप्त हरयाणा सरकार को एक मजबूत टेका दिए खड़ा है।
यह हरियाणा की इस कुरु -भूमि को उर्वरा बनाये रखने और राजनीति के कुरुक्षेत्र में कौरवों का सफाया करता रहेगा का
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