कविता :कठिन डगर है:मास्टर चिन्मय शर्मा ,कक्षा ९ , रामाकृष्णापुरम शाखा ,दिल्ली पब्लिक स्कूल (दक्षिणी -दिल्ली )
अतिथि स्तम्भ :रचनाकार मास्टर चिन्मय शर्मा ,कक्षा ९ , रामाकृष्णापुरम शाखा ,दिल्ली पब्लिक स्कूल (दक्षिणी -दिल्ली )कविता :कठिन डगर है
कठिन डगर है लम्बा सफर है ,
पर हमें न कोई डर है।
(१ )
मुसीबत बड़ी है ,इक नौबत आ खड़ी हुई है ,
मगर साहस का यह वर है ,
कठिन डगर है लम्बा सफर है ,पर हमें न कोई डर है।
(२ )
ये महामारी संसारी ,जिसने दुनिया तबाह कर दी है सारी ,
मगर अपनी रक्षा के लिए हम तत्पर हैं ,
साहस का हम एक विशाल सरोवर हैं ,
कठिन डगर है लम्बा सफर है ,पर हमें न कोई डर है।
विशेष :जी हाँ हम भारत के , बच्चे निडर हैं ।अडिग हैं ,कोरोना का हमें न कोई डर है। साहस से मुकाबला कर लेंगे हम इस सफर का।हर आपदा का।
काल कोरोना जाएगा ,मंगल प्रभात फिर आएगा।आपदा आती भी हैं तो जातीं भी हैं। सूरज किसके छिपाए छिपा है। ये बदली को -रो ना की क्या कर लेगी।
कठिन डगर है लम्बा सफर है ,
पर हमें न कोई डर है।
(१ )
मुसीबत बड़ी है ,इक नौबत आ खड़ी हुई है ,
मगर साहस का यह वर है ,
कठिन डगर है लम्बा सफर है ,पर हमें न कोई डर है।
(२ )
ये महामारी संसारी ,जिसने दुनिया तबाह कर दी है सारी ,
मगर अपनी रक्षा के लिए हम तत्पर हैं ,
साहस का हम एक विशाल सरोवर हैं ,
कठिन डगर है लम्बा सफर है ,पर हमें न कोई डर है।
विशेष :जी हाँ हम भारत के , बच्चे निडर हैं ।अडिग हैं ,कोरोना का हमें न कोई डर है। साहस से मुकाबला कर लेंगे हम इस सफर का।हर आपदा का।
काल कोरोना जाएगा ,मंगल प्रभात फिर आएगा।आपदा आती भी हैं तो जातीं भी हैं। सूरज किसके छिपाए छिपा है। ये बदली को -रो ना की क्या कर लेगी।
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