इक टहनी पे चाँद टिका था इक टहनी पे चाँद टिका था मैं ये समझा तुम बैठे हो मैं ये समझा तुम बैठे हो मैं ये समझा तुम बैठे हो
मुझसे बिछड़ के खुश रहते हो
मुझसे बिछड़ के खुश रहते हो
मेरी तरह तुम भी झूठे हो
मेरी तरह तुम भी झूठे हो
मुझसे बिछड़ के खुश रहते हो
मुझसे बिछड़ के खुश रहते हो
मेरी तरह तुम भी झूठे हो
मेरी तरह तुम भी झूठे हो
मुझसे बिछड़ के खुश रहते हो
इक टहनी पे चाँद टिका था
इक टहनी पे चाँद टिका था
मैं ये समझा तुम बैठे हो
मैं ये समझा तुम बैठे हो
मैं ये समझा तुम बैठे हो
इक टहनी पे चाँद टिका था
मैं ये समझा तुम बैठे हो
मैं ये समझा तुम बैठे हो
मैं ये समझा तुम बैठे हो
उजले उजले फूल खिले थे
उजले उजले फूल खिले थे
बिलकुल जैसे तुम हँसते हो
बिलकुल जैसे तुम हँसते हो
बिलकुल जैसे तुम हँसते हो
उजले उजले फूल खिले थे
बिलकुल जैसे तुम हँसते हो
बिलकुल जैसे तुम हँसते हो
बिलकुल जैसे तुम हँसते हो
मुझको शाम बता देती है
मुझको शाम बता देती है
तुम कैसे कपड़े पहने हो
तुम कैसे कपड़े पहने हो
तुम कैसे कपड़े पहने हो
मुझको शाम बता देती है
तुम कैसे कपड़े पहने हो
तुम कैसे कपड़े पहने हो
तुम कैसे कपड़े पहने हो
तुम तनहा…
https://www.youtube.com/watch?v=szuSccAnzQo
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जायेगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझे चाहेगा
तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लायेगा
ना जाने कब तेरे दिल पर नई सी दस्तक हो
मकान ख़ाली हुआ है तो कोई आयेगा
मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँ
अगर वो आया तो किस रास्ते से आयेगा
तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है
तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सतायेगा
बशीर बद्र साहब
https://www.youtube.com/watch?v=ofi2FDWzJeM
https://www.youtube.com/watch?v=wHgxdqtBOLk
http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%85%E0%A4%97%E0%A4%B0_%E0%A4%A4%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B6_%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%81_%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%88_%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B2_%E0%A4%B9%E0%A5%80_%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A4%BE_/_%E0%A4%AC%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%B0_%E0%A4%AC%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जायेगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझे चाहेगा
तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लायेगा
ना जाने कब तेरे दिल पर नई सी दस्तक हो
मकान ख़ाली हुआ है तो कोई आयेगा
मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँ
अगर वो आया तो किस रास्ते से आयेगा
तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है
तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सतायेगा
बशीर बद्र साहब
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