पत्नी पूजक प्राणी :वैसे तो कमोबेश भारत में मर्दों का बड़ा हिस्सा पत्नी -चालित ही होता है लेकिन कुछ ज़हीन लोग इस सामान्य लेबलिंग का अतिक्रमण करते हुए बहुत आगे निकल जाते हैं। खुद को नीरक्षीर विवेकी स्वयंनियुक्त जज बतलाते हैं यद्यपि ये तमाम बौद्धिक भकुवे आँखों पे गांधारी पट्टी मुख पे कोरोना पट लटकाये रहते हैं ।नैतिक रूप से मान्य या इनके शब्दों में उचित ही करते हैं ये पत्नी -पुजारी सुबह उठकर पाँव छूना मान्य है ,पाँव -पाँव एक समान,ज़्यादा उज्जल पत्नी पाँव। इनका मानना है शेष भी इनका अनुकरण करें -ऐसा करना ये घर की सुख शान्ति के लिए निहायत ज़रूरी बतलाते हैं । इसी भाव की चंद क्षणिकाएं :
पत्नी पूजक प्राणी :वैसे तो कमोबेश भारत में मर्दों का बड़ा हिस्सा पत्नी -चालित ही होता है लेकिन कुछ ज़हीन लोग इस सामान्य लेबलिंग का अतिक्रमण करते हुए बहुत आगे निकल जाते हैं। खुद को नीरक्षीर विवेकी स्वयंनियुक्त जज बतलाते हैं यद्यपि ये तमाम बौद्धिक भकुवे आँखों पे गांधारी पट्टी मुख पे कोरोना पट लटकाये रहते हैं ।नैतिक रूप से मान्य या इनके शब्दों में उचित ही करते हैं ये पत्नी -पुजारी सुबह उठकर पाँव छूना मान्य है ,पाँव -पाँव एक समान,ज़्यादा उज्जल पत्नी पाँव। इनका मानना है शेष भी इनका अनुकरण करें -ऐसा करना ये घर की सुख शान्ति के लिए निहायत ज़रूरी बतलाते हैं । इसी भाव की चंद क्षणिकाएं :
https://www.youtube.com/watch?v=jac8tC4K-mE
https://www.pravakta.com/%E0%A4%95%E0%A4%AC%E0%A5%80%E0%A4%B0-%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%B8%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82/
(१ )
खुद को कहते धर्मनिष्ठ ,तथ्यों से आँख चुराते हैं ,
पक्षकार ये एक पक्ष के ,अपनों पे गुर्राते हैं।
आँखों पे गांधारी पट्टी ,सत्यानंद कहाते हैं ,
मचल मचल कर उछल उछल कर ,खुद को ही भरमाते हैं।
(२ )
नागम्मा का एक प्रवक्ता अपने को कहता निरपेक्ष ,
पत्नी पूजा नित्य कर्म है रहता हरदम है सापेक्ष।
नहीं शहर में बिलकुल छांव ,हम तो जाते अपने गाँव :
(३ )
पत्नी पूजक एक शख्स की बीनाई इतनी कमज़ोर ,
नित्य नाँचता घर में मोर ,नहीं किसी पे इसका ज़ोर ,
(४ )
पत्नी -पूजक एक बे -चारा ,अपने घर में फिरता मारा,
आर.ओ. फ्रिज टीवी सब साज़ ,फिर भी घर का पानी खारा।
कहत कबीर सुनो भाई साधौ -माया महा ठगनी हम कबसे कहिन।
(५)
नागम्मा की करनी देख ,घर में तेरे कैसा खेल ,
सब कुछ यहां है रेलम -पेल ,दादा गिरी तू ही झेल।
हम तो जाते अपने गाँव ,अपनी राम राम राम।
क्षणिका : पूजो तुम पत्नी के पाँव ,हम तो जाते अपने गाँव
सन्दर्भ -सामिग्री :https://www.youtube.com/watch?v=YJt2EdYufno
(१ )
खुद को कहते धर्मनिष्ठ ,तथ्यों से आँख चुराते हैं ,
पक्षकार ये एक पक्ष के ,अपनों पे गुर्राते हैं।
आँखों पे गांधारी पट्टी ,सत्यानंद कहाते हैं ,
मचल मचल कर उछल उछल कर ,खुद को ही भरमाते हैं।
(२ )
नागम्मा का एक प्रवक्ता अपने को कहता निरपेक्ष ,
पत्नी पूजा नित्य कर्म है रहता हरदम है सापेक्ष।
नहीं शहर में बिलकुल छांव ,हम तो जाते अपने गाँव :
(३ )
पत्नी पूजक एक शख्स की बीनाई इतनी कमज़ोर ,
नित्य नाँचता घर में मोर ,नहीं किसी पे इसका ज़ोर ,
(४ )
पत्नी -पूजक एक बे -चारा ,अपने घर में फिरता मारा,
आर.ओ. फ्रिज टीवी सब साज़ ,फिर भी घर का पानी खारा।
कहत कबीर सुनो भाई साधौ -माया महा ठगनी हम कबसे कहिन।
क्षणिका : पूजो तुम पत्नी के पाँव ,हम तो जाते अपने गाँव
सन्दर्भ -सामिग्री :https://www.youtube.com/watch?v=YJt2EdYufno
पत्नी पूजक प्राणी :वैसे तो कमोबेश भारत में मर्दों का बड़ा हिस्सा पत्नी -चालित ही होता है लेकिन कुछ ज़हीन लोग इस सामान्य लेबलिंग का अतिक्रमण करते हुए बहुत आगे निकल जाते हैं। खुद को नीरक्षीर विवेकी स्वयंनियुक्त जज बतलाते हैं यद्यपि ये तमाम बौद्धिक भकुवे आँखों पे गांधारी पट्टी मुख पे कोरोना पट लटकाये रहते हैं ।नैतिक रूप से मान्य या इनके शब्दों में उचित ही करते हैं ये पत्नी -पुजारी सुबह उठकर पाँव छूना मान्य है ,पाँव -पाँव एक समान,ज़्यादा उज्जल पत्नी पाँव। इनका मानना है शेष भी इनका अनुकरण करें -ऐसा करना ये घर की सुख शान्ति के लिए निहायत ज़रूरी बतलाते हैं । इसी भाव की चंद क्षणिकाएं :
https://www.youtube.com/watch?v=jac8tC4K-mE
https://www.pravakta.com/%E0%A4%95%E0%A4%AC%E0%A5%80%E0%A4%B0-%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%B8%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82/
(१ )
खुद को कहते धर्मनिष्ठ ,तथ्यों से आँख चुराते हैं ,
पक्षकार ये एक पक्ष के ,अपनों पे गुर्राते हैं।
आँखों पे गांधारी पट्टी ,सत्यानंद कहाते हैं ,
मचल मचल कर उछल उछल कर ,खुद को ही भरमाते हैं।
(२ )
नागम्मा का एक प्रवक्ता अपने को कहता निरपेक्ष ,पत्नी पूजा नित्य कर्म है रहता हरदम है सापेक्ष।
नहीं शहर में बिलकुल छांव ,हम तो जाते अपने गाँव :
(३ )
पत्नी पूजक एक शख्स की बीनाई इतनी कमज़ोर ,
नित्य नाँचता घर में मोर ,नहीं किसी पे इसका ज़ोर ,
(४ )
पत्नी -पूजक एक बे -चारा ,अपने घर में फिरता मारा,
आर.ओ. फ्रिज टीवी सब साज़ ,फिर भी घर का पानी खारा।
कहत कबीर सुनो भाई साधौ -माया महा ठगनी हम कबसे कहिन।
(५)
नागम्मा की करनी देख ,घर में तेरे कैसा खेल ,
सब कुछ यहां है रेलम -पेल ,दादा गिरी तू ही झेल।
हम तो जाते अपने गाँव ,अपनी राम राम राम।
क्षणिका : पूजो तुम पत्नी के पाँव ,हम तो जाते अपने गाँव
सन्दर्भ -सामिग्री :https://www.youtube.com/watch?v=YJt2EdYufno
(१ )
खुद को कहते धर्मनिष्ठ ,तथ्यों से आँख चुराते हैं ,
पक्षकार ये एक पक्ष के ,अपनों पे गुर्राते हैं।
आँखों पे गांधारी पट्टी ,सत्यानंद कहाते हैं ,
मचल मचल कर उछल उछल कर ,खुद को ही भरमाते हैं।
(२ )
नागम्मा का एक प्रवक्ता अपने को कहता निरपेक्ष ,पत्नी पूजा नित्य कर्म है रहता हरदम है सापेक्ष।
नहीं शहर में बिलकुल छांव ,हम तो जाते अपने गाँव :
(३ )
पत्नी पूजक एक शख्स की बीनाई इतनी कमज़ोर ,
नित्य नाँचता घर में मोर ,नहीं किसी पे इसका ज़ोर ,
(४ )
पत्नी -पूजक एक बे -चारा ,अपने घर में फिरता मारा,
आर.ओ. फ्रिज टीवी सब साज़ ,फिर भी घर का पानी खारा।
कहत कबीर सुनो भाई साधौ -माया महा ठगनी हम कबसे कहिन।
क्षणिका : पूजो तुम पत्नी के पाँव ,हम तो जाते अपने गाँव
सन्दर्भ -सामिग्री :https://www.youtube.com/watch?v=YJt2EdYufno
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