रोटी और संसद
– सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’
एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूँ –
‘यह तीसरा आदमी कौन है ?’
मेरे देश की संसद मौन है
एक टिपण्णी :
मिल गया सुदामा पांडेय का तीसरा आदमी संसद के बाहर आम आदमी के ज़ज़्बातों से खेलता
ट्रेफिक नियमों को टिकैती ट्रेक्टर से ठेलता ,
पेगासस पेगासस चिल्लाता,
कल चिल्लाता राफेल राफेल
मेरे देस की संसद फेल।
चोकीदार चोर देस का,
सब कुछ धक्कम पेल ,
तू मुझको मैं तुझको ठेल।
ट्वीट करता है नित्य
ये तीसरा आदमी ट्रोलाचार्य है।
वेबिनारियन है कुंआरा है,
रखता है कई कई रखैल ,
पालता है कई टिकैत सुरजे पुर्जे।
ये तीसरा आदमी वही है जो आज संसद के बाहर गला फाड़ के चिल्लाता है -खेला होबे ,पूरे हिन्दुस्तान में खेला होबे। ये तीसरा आदमी वही है जो पेगासस पेगासस खेलता है ,पेगासस का ढोल निसिबासर पीटता है। संसद के बाहर मदारी बना तमाशा दिखाता है। सरे आम कहता है मैं हिन्दुस्तान की आवाज़ हूँ ऐसे ही चिल्लाऊँगा चुप नहीं होवूँगा।
ये तीसरा आदमी वही है
जो ईदुल अजहा पर सेकुलर पत्ते फैंटता ,
आदमी की ज़िंदगी से खेलता है।
रोटी की क्या बात करते हो -
ये वोट सेंकता है
वोट बिछाता वोट खाता है।
वोट पादता है।
कोरोना कोरोना खेलता है।
ब्लेक में बेचता है ऑक्सीजन टेंकर।
बांटता है फ्रीबीज़ ,हनी बी कॉम्ब ,
पालता है हनी ट्रेप।
ये तीसरा आदमी वही जो लिखता है खुश ख़त -
लिखा होता है सेकुलर सेकुलर सेकुलर !
सेकुलर कम्पार्टमेन्ट ,सेकुलर ईद
चल बेटा हो जा शहीद।
घसीट के लाता है हसीनाएं बंगाल से ,
टिकरी बॉर्डर ,सजाता है सेज़ ,
जलाता है होली।
ये तीसरा आदमी वही है -
जो चलाता है तम्बू में मसाज पार्लर ,
बीअर बार ,चढ़ाता है किले -लाल पर खालिस्तानी परचम ,
रौंदता है खाकी को ट्रेक्टर तले।
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